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23 Dec 2024, Mon

सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर हमला करने के मामले में कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने चार आरोपियों को फांसी और एक को उम्र कैद की सजा सुनाई है। वहीं मामले में आरोप मुक्त हुए बहेड़ी के गुलाब खां अपने घर पहुंचे। घर पहुंचने पर महिलाओं और बच्चों ने छतों से फूल बरसाकर स्वागत किया।

घर में बेटियां पिता के गले से लिपट गईं तो गुलाब के अलावा दूसरों की आंखें भी नम हो गईं। गुलाब ने कहा कि बारह साल का वक्त जिल्लत भरा गुजरा, लेकिन शुक्र है कि उसके नाम पर लगा दाग छूट गया। उसने हर पेशी में कहा था कि वह मुसलमान है, आतंकी नहीं। अदालत के फैसले से यह बात साबित भी हो गई।

सेंट्रल जेल से गुलाब को सुबह करीब नौ बजे रिहा कर दिया गया। बडे़ भाई कमल समेत कई लोग उसे लेने पहुंचे थे। जैसे ही गुलाब घर पहुंचे, परिजन और मोहल्ले के लोगों ने फूलों से उनका स्वागत किया। कोई उसे गले लगाता.. कोई गुलाब की माला पहनाता तो कोई छत से फूल बरसाता। भीड़ के साथ आगे बढ़े गुलाब का स्वागत शाहगढ़ के जमींदार रहे इंतजार अली खां और हाजी मंसूब अली ने किया।

घर के गेट पर ही बारह साल बाद बेटियां मरियम और सफिया गुलाब के गले लगकर खूब रोईं। गुलाब भी आंसू नहीं रोक सका। आठ फरवरी 2008 को जब एटीएस उसे सोते से उठा ले गई थी तो बच्चे काफी छोटे थे। बेटा उसैद उस वक्त डेढ़ साल का था। वह भी पिता से मिलकर रोने लगा।

गुलाब खां ने बताया कि इन बारह साल में उस पर इतने जुल्म ढाए गए कि बयां नहीं कर सकते। घर से उठाने के बाद एटीएस और पुलिस ने उस पर थर्ड डिग्री तक आजमाई। उस पर दबाव था कि वह आतंकियों से रिश्ते कबूल कर ले। गुनहगार या कमजोर दिल का होता तो टूट जाता। उसने बहुत कुछ सहा। तीन महीने तक परिवार से भी नहीं मिलने दिया गया। जेल में बाल तक नहीं कटवाने देते थे। कहा जाता था कि बाल बड़े होंगे तभी तो पता चलेगा तुम आतंकी हो।

कोर्ट में जज ने पूछा कि बाल क्यों नहीं कटवाए तो पुलिस और जेल स्टाफ साफ मुकर गया कि उन्होंने इस पर पाबंदी लगाई। जेल के वारंट में साफ लिखा था कि यह बा परदा हैं, इनकी शिनाख्त होगी। शिनाख्त की इन बारह साल में कोई कार्यवाही नहीं हुई। असली आरोपी होते तो शिनाख्त होती। वह बार बार अपने को बेगुनाह बताता रहा।

बेगुनाही साबित करने के लिए परिवार सब कुछ गंवा चुका है। जमीन और वर्कशॉप बिक गई। अब कुछ नही बचा है। परिवार पूरी तरह से बरबाद हो चुका है। बावजूद उसे अल्लाह और देश के कानून पर भरोसा था जो और पुख्ता हो गया। अब कोई उसे आतंकी नहीं कहेगा, बच्चे भी इसका दंश नहीं झेलेंगे। रामपुर निवासी साले शरीफ की वजह से वह फंस गया। शरीफ क्या करता था, उसे पता नहीं था। शरीफ की गिरफ्तारी के बाद उसे भी रिश्तेदार होने की वजह से पकड़ लिया गया।

सेंट्रल जेल से रिहा होने के बाद प्रतापगढ़ के कुंडा निवासी कौसर को भी सुकून मिला। वह अपने दोनों भाइयों से बाहर आकर मिला फिर बारह बरस के साथ वाली जेल को निहारा। गुलाब के रिश्तेदार ने ही कौसर को बरेली जंक्शन तक अपनी कार से छोड़ा।

कौसर ने कहा कि बेहद जिल्लत भरे गुजरे हैं ये बारह साल। उनके माथे पर कलंक पोतने की कोशिश की गई थी, लेकिन इरादा मजबूत था और देश के संविधान पर विश्वास था लिहाजा बेगुनाह साबित हो गया। कौसर के भाई ने बताया कि उसका घर पूरी तरह खंडहर बन चुका है। सब कुछ बर्बाद हो चुका है। कमाने के बारह बरस तो जेल में गुजर गए। अब क्या करेंगे, कैसे करेंगे ये सोच रहे हैं। जंक्शन से यह लोग त्रिवेणी एक्सप्रेस में सवार होकर निकल गए।

By #AARECH