Breaking
21 Nov 2024, Thu

रायपुर, छत्तीसगढ़

कई दिनों की माथापच्ची के बाद कांग्रेस ने आखिरकार भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी है। रायपुर में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय मुख्यालय पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, पर्यवेक्षक बनाए गए मल्लिकार्जुन खड़गे ने भूपेश बघेल के नाम का औपचारिक एलान किया। कांग्रेस विधायक दल ने भूपेश बघेल को सदन का नेता चुना है।

कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “यह फैसला कठिन था, सब ने पार्टी के लिए काम किया और सभी बराबर हैं। राहुल गांधी ने सभी का धन्यवाद किया है। विधायक दल की बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को नेता चुना गया। टीएस सिंह देव ने बघेल के नाम का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत ने समर्थन दिया। जिसके बाद प्रस्ताव पास हो गया।”

भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने की खबर आते ही उनके समर्थक पूरे जोश में हैं और उनमें खासा उत्साह देखा जा रहा है। रायपुर में कांग्रेस भवन के बाहर जबरदस्त आतिशबाजी की जा रही है। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष के अध्यक्ष हैं। इसी के साथ 14 दिसंबर से चल रहे कयासों पर विराम लग गया है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद भूपेश बघेल के नाम का एलान किया गया।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का सबसे ज्यादा श्रेय बघेल को दिया गया। बघेल ने नगरीय निकाय से लेकर विधानसभा चुनाव तक जिस तरह रणनीति बनाने का काम किया उसका फायदा कांग्रेस को प्रचंड जीत के रूप में मिला। भूपेश बघेल ने प्रदेश में संगठन के मजबूत करने का काम किया है। इसके साथ ही वे पिछले समुदाय से आते हैं।

17 दिसंबर को राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होना तय है। खबरों के मुताबिक ताम्रध्वज साहू का नाम लगभग तय हो चुका था। लेकिन भूपेश बघेल का नाम मुख्यमंत्री पद के तीनों दावेदारों को दरकिनार करता हुआ सबसे आगे आ गया।

भूपेश बघेल का सियासी सफर
राज्य की बागडोर संभालने जा रहे हैं भुपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग में हुआ। उन्होंने 80 के दशक में कांग्रेस के साथ अपनी सियासी पारी शुरू की थी। उनकी शुरुआत यूथ कांग्रेस के साथ हुई। 1990 से 94 तक वह जिला युवक कांग्रेस कमेटी दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे। 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निदेशक रहे। 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना, तब उन्होंने पाटन विधानसभा सीट से जीत हासिल की। इसके बाद वह कैबिनेट मंत्री भी बने। 2003 में कांग्रेस की सरकार गई तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।