नई दिल्ली
गुजरात के भुज स्थित श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाली छात्राओं को वॉशरूम ले जाकर मजबूर किया गया कि वो अपने अंडरवीयर उतारकर दिखाए की वो माहवारी में है या नहीं।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग की तरफ से आए बयान में इस घटना की निंदा की गई है। बयान में हॉस्टल प्रशासन और कॉलेज प्रिंसिपल की निंदा की गई है। आयोग इस मामले पर एक टीम गठित करेगा और भुज जाकर पीड़ित छात्राओं से बात भी करेगा।
अहमदाबाद मिरर में शुक्रवार को छपी रिपोर्ट के अनुसार 68 छात्राओं को कॉलेज के ग्राउंड से होते हुए वाशरूम ले जाया गया। जहां उनकी माहवारी चैक की गई।
यह घटना उस वक्त हुई जब श्री स्वामीनारायण द्विशताब्दी मेडिकल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाए जा रहे छात्रालय की रेक्टर ने प्रिंसिपल को शिकायत की कि यहां रहने वाली कॉलेज की छात्राएं माहवारी के दौरान धार्मिक नियमों को तोड़ रही हैं।
संप्रदाय के नियमों के अनुसार माहवारी वाली महिलाओं का छात्रालय में बने मंदिर और किचन में जाना प्रतिबंधित है।
श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट (एसएसजीआई) क्रांतिगुरू श्याम जी कृष्णा वर्मा कच्छ युनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेज है।
पुलिस मामले की जांच कर रही है, फिलहाल कोई एफआईआर नहीं हुई है
भुज के मिर्जापुर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर मितेश आर बेरोट ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी तक इस मामले पर कोई एफआईआर नहीं हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘डिटेल में जानकारी मुझे भी पता नहीं है। ये 11 तारीख की घटना है और आज सुबह ही मीडिया में बात आई है। जांच अभी चल रही है। विस्तार से मैं कुछ नहीं बता पाउंगा। अभी स्टेटमेंट्स लिए जा रहे हैं।’
‘मॉडर्न समाज में ये सारी बातें आउट-डेटिड है’
कॉलेज ट्रस्टी पीएच हिरानी ने दिप्रिंट को बताया कि इंचार्ज वाइंस चांसलर दर्शना ढोलकिया बुधवार को अपना डेलीगेशन लेकर छात्राओं से बात करने गईं थीं।
हालांकि क्रांतिगुरू श्याम जी कृष्णा वर्मा कच्छ युनिवर्सिटी की इंचार्ज वाइस चांसलर दर्शना ढोलकिया ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। वो खुद भी अपने स्तर पर इस मसले को देख रही हैं।
दर्शना ढोलकिया ने दिप्रिंट को बताया, ‘अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझ कर मैंने इसकी जांच करनी शुरू की है। मेरी नैतिक जिम्मेदारी दी थी इसके बारे में मालूम करूं। मैंने सबके साथ बैठकर एक रिपोर्ट तैयार की है। मैंने ट्रस्टी को कहा है कि जो भी इसमें शामिल हो उनपर कार्रवाई की जाए।’
उन्होंने कहा, ‘यह घटना ट्रस्ट के अंदर घटित हुई है। फिर भी इंचार्ज वीसी के तौर से मैंने कल एक कमिटी का गठन किया जिसमें मेरे सीनियर सहयोगी जो अंग्रेज़ी विभाग और इकोनामिक्स विभाग के हैं और हमारे रजिस्ट्रार और कॉमर्स फैकल्टी के डीन हिरानी शामिल हैं।’
इस घटना के बारे में दर्शना ने बताया, ‘वहां जाकर मैंने देखा और विद्यार्थियों से इंटरव्यू किया। वहां घटना घटित हुई थी। यह घटना धार्मिक संप्रदाय से जुड़ी हुई है। मासिक धर्म के दौरान ट्रस्ट की तरफ से छात्राओं के लिए अलग व्यवस्था की जाती है। छात्रों ने शायद बताया नहीं होगा कि वो मासिक धर्म में है।’
उन्होंने कहा, ‘छात्रों ने बताया कि ट्रस्ट के स्टाफ इस घटना में शामिल थे। 12-15 छात्रों की चैकिंग की गई। छात्राओं ने ट्रस्टी से मिलकर विरोध प्रदर्शन किया। ट्रस्टी ने माफी मांग ली है और बोला है की दूसरी बार ऐसी घटना नहीं होगी।’
आधुनिक समाज में ऐसी घटनाओं के होने पर ढोलकिया कहती हैं, ‘मॉडर्न समाज में ये सारी बातें आउट-डेटिड है। आज के जमाने में ये सब अच्छा नहीं है।’
‘छोटी लड़कियों पर असर न पड़े इसलिए ऐसा किया गया होगा’
कॉलेज ट्रस्टी पीएच हिरानी ने इस पूरे घटना पर दिप्रिंट को बताया, ‘यह घटना छात्रालय की है न कि स्कूल और कॉलेज की। छात्रालय स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। इसके अंदर मंदिर और प्रार्थना सभा भी है। यहां की परंपरा के अनुसार महिलाओं की माहवारी के समय कुछ पाबंदियां होती हैं।’
उन्होंने कहा कि कॉलेज की लड़कियां बड़ी होती हैं और उनका असर यहां रहने वाली छोटी लड़कियों पर न पड़े इसलिए ऐसा किया गया होगा।
वो बताते हैं, ‘दूर-दूर से आने वाली लड़कियों के घरवालों के अनुरोध पर छात्राओं को छात्रालय में रहने के लिए जगह दी गई। जिसके तहत ये शर्त रखी गई कि वो यहां की परंपराओं को मानेंगी। कॉलेज की 50-60 लड़कियां यहां रहती है। बारी-बारी से ये लड़कियां नियम तोड़ती होंगी। जिसके बाद हॉस्टल की रेक्टर से उनकी दलीलें होती होंगी।’
प्रशासन और छात्राओं का क्या रुख है इस सवाल पर हिरानी ने कहा कि अभी मामला शांत है। मीडिया वाले यहां आए हुए हैं और पुलिस भी इसकी जांच कर रही है।
महिला टीचर ने किया दुर्व्यवहार
अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के अनुसार कॉलेज की छात्राओं का कहना है, ‘गुरूवार को जब हम लेक्चर अटेंड कर रहे थे तब हॉस्टल की रेक्टर अंजलिबेन प्रिसिंपल के साथ आईं और हमारी शिकायत की। हमें जबरन क्लास छोड़ने को कहा गया और सभी को एक कतार में खड़ा कर दिया गया। प्रिसिंपल ने हमें गालियां दी और हमें बेइज्जत किया और पूछा कि हममें से कौन माहवारी में है।’
‘जिसके बाद हमें वॉशरूम ले जाया गया और महिला टीचर ने हमसे अंडरवीयर उतारने को कहा ताकि वो जांच कर पाए कि हम माहवारी में हैं कि नहीं।’
छात्राओं ने कॉलेज के ट्रस्टी प्रवीण पिंडोरिया पर भी आरोप लगाया कि ‘उन्होंने हमें सबसे पहले हॉस्टल खाली करने को कहा। हालांकि उन्होंने इस मामले पर कार्रवाई करने क बात कही। छात्रों ने बाताया कि पिंडोरिया ने एक लैटर पर हस्ताक्षर करने को कहा जिसपर लिखा था कि कॉलेज में कुछ नहीं हुआ है।’
भुज में हुई घटना अकेली नहीं है। इससे पहले 2017 के अप्रैल महीने में उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। जहां हॉस्टल की वार्डन ने 70 स्कूल की छात्राओं को क्लास रुम में उनके सारे कपड़े उतरवाए थे, ये देखने के लिए कि कौन माहवारी में है। ये सभी छात्राएं 12-14 साल की थी।
छात्राओं के परिवार से दबाव बनाए जाने के बाद प्रशासन ने सुरेखा तोमर नाम की वार्डन को बर्खास्त कर दिया था।
श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट, भुज
साल 2012 में लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टीट्यूट का निर्माण किया गया। जो कि श्री स्वामी नारायण मंदिर भुज के अंतर्गत आता है। 2014 में इंस्टीट्यूट की नई बिल्डिंग बनाई गई जो आधुनिक तकनीक पर आधारित है।
कॉलेज के वेबसाइट पर लिखा है कि इस इंस्टीट्यूट का मिशन है कि वर्तमान वैज्ञानिक तकनीक के सहारे और सामाजिक जरूरतों के अनुसार छात्राओं को वैश्विक स्तर की अच्छी शिक्षा दी जाएगी जो भारतीय परंपराओं पर आधारित होगी।
लड़कियों का सशक्तिकरण हो और उन्हें आधुनिक वैज्ञानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा देने का भी इंस्टिट्यूट दावा करता है। कॉलेज बीकॉम, बीए, बीएससी सहित कई कोर्स कराता है जहां 1500 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं।