स्पेशल रिपोर्ट- इकबाल अहमद
भिवंडी, महाराष्ट्र
एक ज़िंदा दिल शहर… 24 घंटे जागने वाला शहर… एक शहर जो पूरी रात चलता है… अब ठहर सा गया है। हर तरफ सिर्फ मायूसी और सभी के चेहरे पर सवालिया निशान… रोज़ी-रोटी के लिए परेशान… भविष्य को लेकर चिंता… अब क्या होगा ??
हड़ताल की वजह
भिवंडी शहर जो कभी सोता नहीं था, शहर के करीब पाँच लाख पावर लूम आधी रात को भी अपने पुरे जोश के साथ चलते रहते है। बदले में इंसानों के तन को ढकने के लिए कपड़ा तैयार करते है। यहाँ का बुना कपड़ा सस्ता होने की वजह से चाइना भी पीछे रह जाता है।
पर अब हालात बदल गए हैं। सरकार की उदासीनता और भयंकर मंदी से परेशान भिवंडी शहर के पावर लूम मालिकों ने हड़ताल करने का फैसला किया और 16 अगस्त की सुबह से पावर लूम बंद है। शहर थम सा गया है, न होटलों पर रौनक है न बाज़ार में ग्राहक। दिखती है तो सिर्फ बेतरतीब भीड़ और एक दूसरे से एक ही सवाल… क्या होगा भिवंडी का ?
पावर लूम पर राजनीति
देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले मुम्बई से सिर्फ 40 किमी दूर बसा भिवंडी शहर आज अपनी बदकिस्मती पर खून के आंसू बहा रहा है। पर बेहिस हुक्मरान को कोई खबर ही नहीं। पावर लूम मालिकों की एकता के आगे सभी बेबस नज़र आ रहे हैं। जनता का गुस्सा उनपर न फूटे सभी पार्टी के नेता एक साथ एक मंच पर दिखाई दे रहे हैं।
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सरकार है, उसके बावजूद भिवंडी के सांसद कपिल पाटिल भिवंडी पूर्व से शिव सेना के विधायक रूपेश म्हात्रे, भिवंडी पश्चिम से बीजेपी विधायक महेश चौगुले भी बन्द का समर्थन कर रहे हैं। उसी के साथ साथ कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शोएब गुड्डू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष खालिद गुड्डू, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हाजी नोमान, आरपीआई के अध्यक्ष महेंद्र गायकवाड़ सहित पूर्व सांसद शुरेस टावरे और पूर्व विधायक रशीद ताहिर मोमिन और मोहम्मद अली खान भी एक साथ मंच पर आकर जनता की सुर में सुर मिला रहे हैं। इतने सारे लोगों के एक साथ आने बावजूद भी समाधान किसी को नहीं सूझ रहा है।
मजदूरों का पलायन
इस बन्दी से होने वाली नुकसान पर नज़र डाले तो सबसे ज़्यादा घाटे में है छोटे लूम मालिक और मज़दूर। बंदी की वजह से मज़दूरों का पलायन धीरे-धीरे शुरु हो रहा है। एक बार मज़दूर गांव को चले गए तो उनका जल्दी लौटना मुश्किल होता है। इस वजह से उसका खामियाज़ा पूरे लूम कारोबार पर पड़ता है। लूम मालिको को दोहरी मार पड़ती है। पहले मंदी से जूझते कारोबार को घाटे में चलाया और अब मज़दूर का पलायन हो गया तो लूम चलाने के लिए मज़दूर न मिलने से उनका नुकसान।
बेबस मजदूर
जलील अहमद… पावर लूम मजदूर हैं, कहते हैं, घर में बेटी बीमार है दवा के लिए मालिक से 10 हज़ार रूपये एडवान्स लेकर घर भेज दिया था। सोचा था दिन-रात मेहनत करके अदा कर देंगे। पर अब… लूम हड़ताल की वजह से बंद है, तो पगार कहाँ से मिलेगी। लूम मालिक से कहा कि कुछ पैसे और दे दें, ताकि यहाँ का खाने-पीने का इंतेज़ाम कर लूं। पर लूम मालिक ने हाथ खड़े कर दिए। घर चला भी गया तो वहां क्या करुंगा। जलील आसमान की तरफ सर उठा कर कहते हैं… अब तो उसका ही सहारा है। यहां करीब हर मज़दूर का हाल अब्दुल जलील जैसा ही है। पर कुछ ऐसे भी हैं जो एडवान्स लेकर चुपके से गांव चले जाते हैं, और फिर पुराने मालिक के यहां लौटते नहीं।
होटल मालिक परेशान
लूम मज़दूर में 60 प्रतिशत ऐसे है, जो अकेले रहते हैं। उन्हें सस्ते दाम पर होटल में खाना मिलता है। ये सेवा बीस्सी के नाम से यहां मशहूर है। बिस्सी में खाना खिलाने वाले को सरदार कहते हैं। शाकाहारी और माँसाहारी दोनों तरह के घरेलू बीस्सी होटल यहां मिल जाएंगे। शाकाहारी घरेलू होटल के मालिक भोला प्रसाद गुप्ता कहते हैं कि उनके यहाँ 150 मज़दूर दोनों वक़्त का खाना खाते हैं। वे मजदूरों से सिर्फ 800 रुपया 15 दिन के लिए लेते हैं। गुप्ता बताते हैं कि जब कोई नया मज़दूर आता है, तो हम उसे भरोसे पर खाना खिलाते हैं। मजदूर को जब उसकी पगार होती है, तब वो हमारा पैसा चुकता कर देता है। इस तरह उसके ऊपर हमारा बकाया बना रहता है। पर अब… जब से बन्दी की खबर मिली है, परेशान हूं। वजह ये है कि जब मज़दूरों के पास पैसा नहीं होगा तो वह बगैर बताये गांव चला जाता हैं, और हमारा हज़ारो रुपया डूब जाता है।
ट्रांसपोर्ट का कारोबार ठप
लूम बन्द होने की वजह से ट्रांसपोर्ट का कारोबार पूरी तरह ठप है। हज़ारो छोटी बड़ी ट्रक और टेम्पो के ड्राइवर बिना काम के बैठे हैं। उनके सामने अब खाने पीने की चीज़ों की समस्या आ रही है। इसके साथ शहर के दूसरे कारोबार पर भी असर दिखने लगा है। खास तौर पर छोटे कारोबारी बहुत परेशान हैं जिनके धंधे मजदूरों से चलते थे।
बिजली कंपनी का नुकसान
भिवंडी में बिजली सप्लाई का काम गुजरात की कंपनी टोरंट पावर लिमिटेड करती है। पावर लूम की इस बंदी से सबसे ज़्यादा वो चिंतित है। कंपनी अपनी तरफ से भी लगातार कोशिश में लगी है बंदी टूट जाए। एक अनुमान के मुताबिक टोरेंट कंपनी को 15 दिन की बंदी से करीब 50 करोड़ से ज़्यादा का नुक्सान होने की उम्मीद है।
अन्त में
हड़ताल को लेकर कई तरह की अपवाहें भी हैं। सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुछ लोग इस बंदी को तोड़ने में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी झूटे सन्देश भेजे जा रहे हैं। पावर लूम के कुछ जगह चालू होने की अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं। पावर लूम मालिकों का आरोप है कि कुछ लोग खास लोगों के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं। दरअसल इन सब के बीच तनाव फैल रहा है। ऐसे में अगर शासन-प्रशासन ने सूझ-बूझ न दिखाई तो हालात खराब भी हो सकते हैं। वैसे पुलिस ने सुरक्षा के खास बंदोबस्त किए हैं।
देखना ये है कि आने वाले समय में सरकार कोई कदम उठाती है या भिवंडी पावरलूम को उन्हीं के हाल पर छोड़ देती है।
इकबाल अहमद साहब की शानदार रिपोर्ट हैं। इकबाल साहब ने लखनऊ युनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की हैं। जन समस्याओं पर लिखते रहते हैं। पावर लूम मजदूरों की आवाज़ उठा रहे हैं।
पीएनएस टीम की तरफ से शुक्रिया….