Breaking
16 Oct 2024, Wed

राजस्थान: ‘रातभर पुलिसवाले पीटते रहे और वो चिल्लाता रहा, फिर हो गई मौत’, दलित युवक ने बताई भाई की आपबीती

BARMER DALIT CUSTODIAL DEATH I COULD HEAR MY BROTHER SCREAMING WHEN WE WENT IN HE WAS LYING THERE DEAD 1 290220

राजस्थान

राजस्थान के बाड़मेर में पुलिस हिरासत में एक दलित युवक की मौत का मामला सामने आया है। 26 साल के मृतक जीतेंद्र खटिक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनलोगों ने पुलिस हिरासत में जीतेंद्र के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनी थी। जीतेंद्र के भाई धर्मेंद्र खटिक ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसके भाई ने गुरुवार की सुबह जब वो उससे मिलने थाने पहुंचा तो अपने ऊपर हुए जुल्म के बारे में बताया था। धर्मेंद्र ने इस बाबत एक एफआईआर भी दर्ज करवाई है।

एफआईआर में कहा गया है, “मेरा भाई रो रहा था और उसने मुझे बताया कि रातभर मुझे थाना प्रभारी और थाना कर्मचारियों द्वारा अमानवीय रूप से पीटा गया और प्रताड़ित किया गया है…अगर तुम मुझे रिहा नहीं कराओगे, तो पुलिसवाले मुझे मार देंगे। तब तक एक पुलिसकर्मी आया और मुझे बाहर ले गया।” धर्मेंद्र ने कहा है कि इसके तुरंत बाद, जब वह अपने पिता और भाई के साथ थाने के बाहर बैठा था, वे लोग जीतेंद्र को चिल्लाते हुए सुन रहे थे।

धर्मेंद्र ने एफआईआर में लिखा है, “जब हम तीनों पुलिस स्टेशन के बाहर बैठे थे तब हमें अंदर से जितेंद्र के चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी। हम वहां बैठे थे, चिंतित थे। कुछ समय बाद एक पुलिसकर्मी आया और हमें बताया कि जितेंद्र बीमार हो गया है और हमें अंदर आने के लिए कहा है।

जब हम अंदर गए तो हमने जितेंद्र को दूसरे कमरे में देखा… वह फर्श पर पड़ा था, पुलिस ने उसे अवैध तरीके से हिरासत में पीट-पीटकर मार डाला था।” इसके बाद पुलिस वाले जीतेंद्र को अस्पताल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

इस घटना के बाद थाने के एसएचओ दीप सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि जिले के पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने थाने के सभी कर्मचारियों को लाइन हाजिर करा दिया है। इसके अलावा एसएचओ समेत अन्य थाना कर्मचारियों पर मर्डर के चार्ज लगाए गए हैं। मामला बढ़ता देख राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने शरद चौधरी को भी एसपी पद से हटा दिया और उन्हें पोस्टिंग के लिए वेटिंग लिस्ट में डाल दिया है। सीओ को भी पद से हटा दिया गया है।

मामले में एससी / एसटी (अत्याचारों की रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 342 (गलत कारावास की सजा), 143 (गैरकानूनी विधानसभा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। शुक्रवार की शाम तक, खटीक परिवार ने शव नहीं लिया था। उन्होंने आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने, 1 करोड़ रुपये के मुआवजे और एक सरकारी नौकरी की मांग की है।

बाड़मेर के एडिशनल एसपी खिनव सिंह ने बताया, “पोस्टमार्टम अभी तक नहीं किया जा सका है क्योंकि परिवार के सदस्य ऐसा नहीं होने दे रहे हैं। उनकी मांग है कि जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, ऐसा नहीं होने देंगे। इस मामले की जांच CID-CB के एक अतिरिक्त एसपी द्वारा की जा रही है।”

By #AARECH