चंचल बीएचयू
जौनपुर, यूपी
बनारस के साथ ज्यादती हो रही है, इसे न रोका गया तो बनारस खत्म हो जाएगा। काशी जिस वजह से सारी दुनिया मे अपनी हाज़िरी देती है, उसकी सबसे बड़ी वजह यहां की संस्कृति और सभ्यता है। सरकार… यह भी नही मालूम है कि सभ्यता और संस्कृति की बनावट इसके वास्तु शिल्प पर पलती है।
पतली गलियों में पैदल चलने का सलीका आपको, राम-राम, पल्लागी गुरु, एक पान जम जाय गुरु, वगैरह से जोड़ता है। फर्राटेदार मर्सडीज इन तमाम सहूलियत से महरूम रहता है। आपसी रिश्ते ऐसे ही वास्तु शिल्प से निकलते हैं। यहां हर घर के आगे एक अड्डा बना होता है। सुबह साँझ अपने अड्डे पर जमे बनारसी देश-दुनिया की खबर को शतरंज की बिसात पर उलझा देता है। मोहल्ला दो फांक खड़ा इन्ही अड्डों में। फील हाथी के पीछे लगा दो गुरु। घोड़ा चपल हौ गुरु, तीसरी चाल में मात।
कम्बख्त ! न्यूयार्क, टोरंटो, गुड़गांव, क्योटो को देख कर आओ एक ही इमारत के तीसरे माले पर कौन रहता है दूसरे माले को नही मालूम। वास्तु का दूसरा हिस्सा देखो हर घर का सदर दरवाजा साइज में छोटा होता है। किसी के घर जा रहे हो, झुक कर प्रवेश लो। दरवाजे के बाद बाग बगीचा, कुंआ, फुटबॉल का मैदान तब रिहायसी मकान। इन्हें गगनचुम्बी इमारत में डालोगे? गगन चुम्बी इमारतों में उल्लू रहते हैं इंसान नही। यौम इंसान का कत्ल कर उल्लुओं को पालने की सोच रखते हो, पूरा नही होगा।
यह मामला केवल काशी का नही है, काशी में पांच विश्वविद्यालय हैं। यह लड़ाई उनकी है, उन्हें इसमें शामिल होना चाहिए।
(चंचल बीएचयू खाटी के समाजवादी है। वह बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। राजनीतिक, सामाजिक मालों में बेबाकी से लिखते हैं। जौनपुर में रहकर वह समता घर चला रहे हैं।)