लखनऊ, यूपी
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद की शहादत मामले अब सबको फैसले का इंतज़ार है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समयसीमा पर सीबीआई की अदालत कल यानी 30 सितंबर को फैसला सुनाएगी। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी। मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है। लगभग सभी आरोपियों ने घटना में शामिल होने से इंकार किया है और कहा है कि उन पर ये आरोप राजनीतिक विद्वेष की भावना से लगाए गए हैं।
इस घटना में बीजेपी के वयोवृद् नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती व विनय कटियार सहित कुछ 49 लोग आरोपी हैं। इनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी है। मामले में लगभग 50 गवाह भी दुनिया से जा चुके हैं।
करीब 28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को शीहद कर दिया गया था। इसका आरोप 49 नेताओं पर लगा था। इनमें ज़्यादातर नेता बीजेपी, आरएसएस व दूसरे हिंदू संगठनों से जुड़े थे। हालांकि, अपने बयान में सभी ने षडयंत्र में शामिल न होने की बात कही। पर ये भी सच है कि समय-समय पर ये लोग अपने बयानों में इसका सीधे तौर पर फायदा लेते रहे हैं।
मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, विनय कटियार, उमा भारती व साध्वी ऋतंबरा नामजद अभियुक्त हैं। यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 505, 147 और 149 के तहत रायबरेली में चला फिर लखनऊ सीबीआई कोर्ट में चल रहे मुकदमों में शामिल कर लिया गया। आरोपियों ने कोर्ट में आकर अपना बयान दर्ज करवाया जो नहीं आ सके उनके बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दर्ज किए गए।
उमा भारती और कल्याण सिंह कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर दो अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। अभी यह सूचना नहीं है कि फैसले के समय वे अदालत में मौजूद रहेंगे या नहीं। कल्याण सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तभी बाबरी मस्जिद शहीद हुई थी। कल्याण सिंह पिछले साल सितंबर में इस मामले की सुनवाई में शामिल हुए थे। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी इस मामले के आरोपियों में से एक हैं।
बडी आदालत ने सीबीआई अदालत को मामले का निपटारा 31 अगस्त तक करने के निर्देश दिए थे लेकिन गत 22 अगस्त को यह अवधि एक महीने के लिए और बढ़ा कर 30 सितंबर कर दी गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले की रोजाना सुनवाई की थी।