नई दिल्ली
बाबरी मस्जिद-राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से कहा गया है कि दोनों पक्ष इस मामले को कोर्ट के बाहर सुलझा लें तो ठीक रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए इसको कोर्ट के बाहर सुलझा लेना चाहिए। कोर्ट ने इस पर सभी पक्षों को आपस में बैठकर बातचीत करने के लिए कहा है। इस मामले पर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने कहा है कि अब बातचीत के सारे रास्ते बंद हैं। इस मामले पर अब 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने चीफ जसेटिस खेहर की बातचीत करने के सुझाव को मानने से इंकार कर दिया है। कमेटी के ज्वॉइंट कंवीनर डॉ एसक्यूआर इलियास ने कहा कि हम लोगों को चीस जस्टिस की बात मंज़ूर नहीं है। इलाहबाद हाई कोर्ट पहले ही अपना निर्णय दे चुका है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लगता है कि बातचीत का वक्त अब खत्म हो चुका है। उन्होंने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी और विश्व हिंदू परिषद के बीच हुई पिछली बातचीत का भी ज़िक्र किया जो कि किसी फैसले पर नहीं पहुंची थी।
अयोध्या के मामले पर आज ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दोनों पक्षों के बीच बातचीत सफल नहीं होती है तो फिर सुप्रीम कोर्ट दखल देगा। इसके लिए एक सुलह करवाने वाला व्यक्ति नियुक्त करने की भी बात कही जा रही है। बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद काफी पहले से चल रहा है। 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया था।
हाईकोर्ट का फैसला
30 सितंबर 2010 को इलाहबाद कोर्ट ने भी इस मामले पर सुनावाई की थी। उनकी तरफ से फैसला करके 2.77 एकड़ की उस जमीन का बंटवारा कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया था। इसमें ने एक हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया जिसमें राम मंदिर बनना था। दूसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और तीसरा निरमोही अखाड़े वालों को दिया गया था। हाई कोर्ट के इस फैसले पर 9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।