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22 Dec 2024, Sun

आज़मगढ़ बवाल: रमाकांत यादव पर सपा सरकार मेहरबान

आज़मगढ़, यूपी

ज़िले के खूदादादपुर गांव में हुए बवाल के एक हफ्ते बीत गए हैं लेकिन यूपी की सपा सरकार ने अब तक रमाकांत यादव पर कोई कार्रवाई नहीं की है। पुलिस की तरफ से दर्ज एफआईआर में भी उनका नाम नहीं है। जबकि स्थानीय लोगों ने उन पर तनाव बढ़ाने और एक वर्ग विशेष को उकसाने का आरोप लगाया है। ऐसा लगता है कि सपा सरकार रमाकांत यादव पर मेहरबान है।

इस बीच ज़िला प्रशासन ने अब तक करीब 2 दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है। एक खबर के मुताबिक ज़िला प्रशासन इन पर एनएसए लगा सकता है। वहीं अज्ञात दर्ज किए गए लोगों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार दबिश दे रही है। इलाके में शांति ज़रूर है पर एक डर सा कायम हो गया है। शाम होते ही दुकानें बंद हो जा रही है और पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए इलाके के लोग भागे-भागे फिर रहे हैं।

पूर्व सांसद रमाकांत पर आरोप  
तमाम रिपोर्टों में ये साफ हो गया कि बवाल के पहले दिन कई दर्जन गाड़ियों के काफिले के साथ पूर्व बीजेपी सांसद रमाकांत यादव फरीदाबाद गांव गए थे। यहां उन्होंने मीटिंग एक की थी जिसमें एक ही समुदाय के करीब एक हज़ार लोग शामिल हुए थे। आरोप है कि इसके बाद ही इलाके तनाव फैल गया और दूसरे दिन के सैकड़ों लोगों ने खुदादादपुर गांव पर हमला करने की कोशिश की थी। इस हमले को पुलिस ने नाकाम कर दिया था।

यहीं नहीं तनाव काफी बड़े लाके में फैल गया था। आज़मगढ़ शाहगंज रोड़ पर नाम पूछ-पूछ कर एक समुदाय के लोगों को मारने की घटना सामने आई थी। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद भी पूर्व सांसद बीजेपी सांसद रमाकांत ने इस इलाके का दोबारा दौरा किया था। जिससे माहौल और खराब हो गया।

प्रशासन की कार्रवाई
जब माहौल ज़्यादा खराब हुआ तो प्रदेश सरकार ने हालात को काबू करने के लिए एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और आईजी एटीएस को विशेष तौर पर आज़मगढ़ भेजा। इसके साथ ही आरएएफ तैनात की गई। दरअसल पहले सिर्फ मुस्लिम गांवों में सुरक्षा बल लगाए गए। इससे दूसरे गावों के लोग बार-बार उकठ्ठा हो रहे थे। स्थानीय लोगों के साथ सपा के नेताओं ने भी पुलिस पर एकतरफ काम करने की बात कही। बाद में हो-हल्ला मचने पर आसपास के सभी गांवों में सुरक्षा बल तैनात किए गए। तब जाकर माहौल धीरे-धीरे शांत हो पाया।

ज़िला प्रशासन की सक्रियता को लेकर सवाल ज़रूर उठा। इसके साथ ही इंटेलीजेंस की निष्क्रियता साफ दिखी। स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में गोरखपुर के सांसद का संगठन हिंदू युवा वाहिनी यहां काफी सक्रिय है। वह लगातार ऐसे मुद्दे उठा रहा है जिससे विवाद हो और दोनों समुदायों के बीच तनाव पैदा हो। लोगों का आरोप है कि ज़िला प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता है।

जांच की रिपोर्ट कब तक
सरकार और ज़िला प्रशासन कह रहा है कि जांच के बाद इसमें शामिल किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। पर जांच का नतीजा कब आएगा और क्या कार्रवाई होगी ये अभी तक साफ नहीं किया गया है। फिलहाल ऐसा लगता है कि वक्त गुज़रने के साथ ही इलकी जांच भी ठंडे बस्ते में चली जाएगी।