पीएनएस टीम
आज़मगढ़, यूपी
कोरोना वायरस की त्रासदी से पूरी दुनिया हलकान हैं। दुनिया के सबसे बड़े और विकसित होने का दावा करने वाले अमेरिका, इटली, इंगलैंड़, फ्रांस, स्पेन जैसे देशों ने हथियार डाल दिए हैं। इन देशों में रोज़ सैकड़ों मौतें हो रही हैं। वहीं दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं जो कोरोना वायरस की चपेट में न हो।
पर भारत में कोरोना को लेकर एक अलग तरह का माहौल बनाया जा रहा है। दरअसल देश में कोरोना को एक समुदाय से जोड़ दिया गया। मीडिया ने इसमें हवा दी तो सरकारों और अधिकारियों का रवैया भी ऐसा हो गया है कि समुदाय विशेष दहशत में आ गया है।
क्या है मामला
ताज़ा मामला आज़मगढ़ ज़िले का है। यहां भी कोरोना के नाम काफी संख्या में मुसलमानों ने ज़बरदस्ती कोरेन्टीन करने का आरोप लगाया है, वहीं तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को न सिर्फ परेशान किया जा रहा है बल्कि उनकी अवैध तरीके से गिरफ्तारी भी की जा रही है। एक तरफ शासन शराब की दुकान खोलने की आज़ादी दी। जहां भारी भीड़ से न सिर्फ सोशल डिस्टेंसटिंग पूरी तरह से फेल हो गई तो दूसरी तरफ उसी दिन तबलीगी जमातियों पकड़ कर जेल भेज दिया। इनमें कई ऐसे लोग थे जिन्हें कॉरेन्टीन करने बाद छोड़ दिया गया था वहीं इनको सरेआम हथकड़ी लगा कर ले जाया गया जैसे ये बहुत बड़े अपराधी हो।
कोरेन्टीन में ज़्यादा दिन रखने का आरोप
तबलीगी जमात से जुड़े लोगों ने पीएनएस टीम को बताया कि जहां आम लोगों और मजदूरों को 14 दिन कोरेन्टीन करने के बाद छोड़ दिया गया वहीं जमात से जुड़े या शक के आधारा पर कोरेन्टीन किए गए लोगों को 28 दिन से 32 दिन के बाद छोड़ा गया। इसे बाद पुलिस ने अचानक कार्रवाई करते हुए किसी को घर पहुंचने के बाद गिरफ्तार करके जेल भेजा गया या फिर कई लोगों को कॉरन्टीन सेन्टर से ही गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया
हो रही है धड़ाधड़ गिरफ्तारी
ज़िले के मुबारकपुर इलाके के 7 लोगों को अलग अलग जगह कॉरन्टीन किया गया था। उन्हें 26 अप्रैल को छोड़ दिया। दरअसल इन सभी की कोरोना जांच निगेटिव आई थी। दो दिन पहले अचानक मुबारकपुर थाने पर उनको मीटिंग के बहाने बुलाया गया और उनको आश्वासन दिया कोई बात नही है, सिर्फ बातचीत करनी है। जब ये लोग थाने पहुंचे तो उनको गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।
मदरसा इस्लाह के शिक्षक की गिरफ्तारी
ज़िले के निजामाबाद थाना के चकिया हुसैनाबाद गाँव के पूर्व प्रधान मौलाना ओबैदुल्लाह कासमी जो कि सरायमीर के मदरसा मदरसा इस्लाह के शिक्षक पद कार्यरत हैं। स्वास्थ्य विभाग ने उनको कई दफा कॉरेन्टीन किया। मौलाना ओबैदुल्लाह का आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने उनका मोबाइल भी ले लिया। कोरेन्टीन सेन्टर से छोड़ने के बाद उनका मोबाइल पुलिस ने वापस नहीं किया। दो दिन पहले पुलिस अचानक उनके घर से उन्हें उठा ले गई और जेल भेज दिया।
कितनो की हुई गिरफ्तारी
ज़िले में कितने लोगों की अब तक गिरफ्तारी हुई है ये किसी को भी पता नहीं है। एक तरफ लाक डाउन की वजह से लोगों का एक दूसरे से संपर्क नहीं हो पा रहा है। दूसरी तरफ ज़िला प्रशासन ने भी अब तक कोई डेटा नहीं दिया है। सूत्रों के मुताबिक अब तक तीन दर्जनो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन सभी को जेल भेज दिया गया है।
लोगों में गुस्सा
इस मामले आम लोगों खासकर मुसलमानों में काफी गुस्सा है। दरअसल ये सारी कार्रवाई रमज़ान जैसे पाक महीने में की जा रही है जो मुसलमानों के काफी महत्त्वपूर्ण होता है। लोगों का सवाल है कि जब सभी लोग प्रशासन को सहयोग कर रहे हैं और कोरेन्टीन होने के साथ जो भी हिदायत दी जा रही है उसका पूरी तरह से पालन कर रहे हैं तो अचानक इतने बड़े पैमाने पर कार्रनाई क्यों हो रही है। पीएनएस से बातचीत में लोगों का कहना है कि प्रशासन कोरोना से लड़ रहा है या फिर एक समुदाय विशेष को टारगेट कर रहा है। दरअसल लॉक डाउन की वजह से न्यायालय भी बंद है इसलिए इनकी ज़मानत भी नहीं हो पा रही है।
राजनीतिक दलों में चुप्पी
आज़मगढ़ के मौजूदा सांसद अखिलेश यादव हैं। कई लोगों का कहना है कि सपा के नेताओं और विधायकों को इस पूरे मामले का इल्म है। कई लोगों ने इनसे मुलाकात की है पर न तो ये नेता, विधायक और न ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कोई बयान आया है। दूसरे राजनीतिक दल बीएसपी, कांग्रेस समेत सभी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज़ ज़रूर उठाई है। अव सवाल ये उठता है कि गिरफ्तार निर्दोष लोगों को न्याय कैसे मिलेगा।