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10 Jan 2025, Fri

नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन हो जाने के बाद आयुर्वेद और होम्योपैथिक के चिकित्सक भी प्राथमिक स्तर पर एलोपैथी की प्रैक्टिस कर सकेंगे। इसके लिए कमीशन उन्हें बतौर सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता लाइसेंस जारी करेगा। हालांकि, इन लाइसेंस की संख्या पंजीकृत एमबीबीएस चिकित्सकों की कुल संख्या के एक-तिहाई से कम होगी।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की ओर से सोमवार को लोकसभा में नेशनल मेडिकल कमीशन विधेयक-2019 पेश किया गया। इस विधेयक में प्रावधान है कि कमीशन आधुनिक और वैज्ञानिक चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता के तौर पर मेडिसिन प्रैक्टस करने का लाइसेंस जारी कर सकता है।

‘नेक्स्ट’ तीन साल में
विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि कमीशन के गठन के साथ ही प्रस्तावित नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) शुरू नहीं होगी। इसे कमीशन के गठन से तीन साल के भीतर शुरू किया जाएगा। जब तक नेक्स्ट शुरू नहीं होता परीक्षा की पुरानी व्यवस्था ही कायम रहेगी।

चार बोर्ड का प्रस्ताव
बिल में चार स्वशासी बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है। इसमें स्नातक पूर्व और स्नातकोत्तर अतिविशिष्ट आयुर्विज्ञान शिक्षा में प्रवेश के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परिक्षा आयोजित करने की बात कही गई है। इसमें चिकित्सा व्यवसाय करने के लिए राष्ट्रीय निर्गम परीक्षा आयोजित करने की बात कही गई है।

पंजीकृत चिकित्सकों की संख्या के एक तिहाई लाइसेंस
विधेयक में सीधे-सीधे ब्रिज कोर्स का जिक्र तो नहीं किया गया है, लेकिन इसमें कहा गया है कि लाइसेंस जारी करने के लिए जरूरी मानदंड कमीशन का गठन होने के बाद तैयार किया जाएगा। किसी भी सूरत में इस श्रेणी में जारी करने वाले लाइसेंस की संख्या पंजीकृत चिकित्सकों की संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं होगी। विधेयक के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाता प्राथमिक स्तर पर अपने स्तर पर मरीजों को कुछ खास दवाएं दे सकेंगे। हालांकि प्राथमिक स्तर से ऊपर वे दवाएं किसी पंजीकृत चिकित्सक की निगरानी में ही दे सकेंगे।

By #AARECH