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22 Nov 2024, Fri

CAG REPORT-सियाचिन में तैनात सैनिकों के कपड़ों से लेकर खाने तक में लापरवाही

ARMY JAWANS NOT GETTING ADEQUATE CALORIES IN SIACHEN SAYS CAG REPORT 1 040220

नई दिल्ली
सियाचिन, लद्दाख, डोकलाम जैसे ऊंचे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को जरूरत के मुताबिक कैलरी नहीं मिल पाई। साथ ही उन्हें वहां के मौसम से निपटने के लिए जिस तरह के खास कपड़ों की जरूरत होती है उसकी खरीद में भी काफी देरी हुई। पुराने स्पेसिफिकेशन के कपड़े और उपकरण मिलने से सैनिक बेहतर कपड़े और उपकरणों से वंचित रहे। संसद में सोमवार को पेश की सीएजी रिपोर्ट (CAG REPORT) से ये गंभीर मसले सामने आए हैं।

2017-18 की सीएजी रिपोर्ट

सीएजी की यह रिपोर्ट 2017-18 के दौरान की है, जिसे संसद में पेश किया गया। सीएजी रिपोर्ट (CAG REPORT) में कहा गया है कि हाई एलटीट्यूट एरिया में सैनिकों के लिए राशन का स्पेशल स्केल उनकी डेली एनर्जी जरूरत को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। हालांकि मूल मदों (बेसिक आइटम) के बदले में वैकल्पिक मदों (सब्स्टिट्यूट) को सीमित प्रतिशत और ‘लागत के आधार’ पर भी ऑथराइज्ड किया गया।

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बेसिक आइटम की जगह पर महंगे विकल्पों (सब्स्टिट्यूट) को समान कीमत पर सेंग्शन करने की वजह से सैन्य दलों द्वारा ली जाने वाली कैलरी की मात्रा कम हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेना की ईस्टर्न कमांड ने तो ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया लेकिन नॉर्दन कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के जरिए खरीद की गई जिससे निष्पक्ष कॉम्पिटिशन बाधित हुआ।

कपड़े मिलने में भी देरी
सीएजी रिपोर्ट (CAG REPORT) के मुताबिक हाई एल्टीट्यूट एरिया में तैनात सैनिकों को वहां की जरूरतों के हिसाब के कपड़े खरीदने के लिए मंत्रालय ने 2007 में एक एंपावर्ड कमिटी बनाई ताकि क्लोदिंग आइटम की खरीद में तेजी आ सके। लेकिन इसके बावजूद चार साल तक की देरी हुई। रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली ऑर्डिनेशन फैक्ट्री से लिए जाने वाले सामान को मिलने में भी देरी हुई। खरीदने की प्रक्रिया में हुई देरी और कॉन्ट्रैक्ट के बाद भी सामान मिलने में हुई देरी से वहां तैनात सैनिकों को जरूरी कपड़े और उपरकण की भारी कमी झेलनी पड़ी।

सैनिकों का स्वास्थ्य प्रभावित

फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग भी पुराने स्पेसिफिकेशन के खरीद लिए गए जिससे सैनिक बेहतर प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करने से वंचित रहे। खरीद प्रक्रियाओं में देरी की वजह से सैनिकों का हेल्थ और हाइजीन भी प्रभावित हुआ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिफेंस लैब में रिसर्च और डिवेलपमेंट की कमी और स्वदेशीकरण में विफलता की वजह से सामान आयात करने पर ही निर्भरता रही।

पायलट प्राेजेक्ट 274 करोड़ रु. खर्च कर भी असफल
सीएजी रिपोर्ट (CAG REPORT) के मुताबिक हाई एल्टीट्यूट में रहने वाले सैनिकों के आवास की स्थिति को सुधारने के लिए प्रॉजेक्ट को अडॉक तरीके से लागू किया गया। सक्षम अथॉरिटी की इजाजत नहीं ली गई और पायलट प्रॉजेक्ट को फेस वाइज सेंग्शन दिया गया। जिसकी वजह से 274 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी पायलट प्रॉजेक्ट सफल नहीं रहा।

सही आकलन बिना प्लान
रिपोर्ट के मुताबिक जरूरतों का सही आकलन किए बगैर सालाना प्लान बनाए जा रहे हैं और काम सेंग्शन किया जा रहा है। काम पूरा होने में तय समय सीमा से बहुत ज्यादा देरी हो रही है। फिजिकल कंप्लीशन के बाद भी असेस्ट को यूनिट को सौंपने में एक साल से भी ज्यादा का वक्त लगा। जिसकी वजह से सैनिक को अत्यधिक चुनौतीपूर्ण वाले क्लाइमेट कंडीशन में सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा।

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By #AARECH