लखनऊ, यूपी
एक तरफ तो पूरा देश 15 अगस्त को जश्न-ए-आज़ादी में डूबा था तो दूसरी तरफ तरफ कुछ लोग जेल में सज़ा पूरी होने के बाद भी जेल में बंद थे और खुले आसमान ठंडी सांस लेने से महरूम थे। ऐसे में एक संस्था ने इन सज़ा पूरी कर चुके गरीबों के लिए मसीहा बन कर सामने आई। एपीसीआर संस्था ने इन गरीबों को रिहा करा कर उनके चेहरे पर आज़ादी की चमक बिखेर दी।
एपीसीआर यानी एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था ने लखनऊ जेल से 6 कैदियों को और फतेहपुर जेल से एक कैदी को रिहा कराने में मदद की। इसमें लखनऊ ज़िला जेल से रिहा किए गए कैदियों में राज कुमार त्रिवेदी पुत्र रमापती त्रिवेदी निवासी शिव गढ़ ज़िला रायबरेली, अशोक कुमार पांडेय पुत्र आज्ञा राम पांडे निवासी इकौना ज़िला श्रावस्ती, सोनू पुत्र छतारी निवासी ईटोवा ज़िला संत कबीर नगर, गोविंद मिश्रा पुत्र मुरारीलाल निवासी कोतवाली नगर ज़िला सीतापुर, मोहित पुत्र देव सिंह निवासी मायावती कॉलोनी, इंदिरा नगर लखनऊ और मंगल पुत्र कैलाश निवासी आलमबाग लखनऊ शामिल हैं। लखनऊ ज़िला जेल के अलावा फतेहपुर जेल से मोहम्मद अकरम की कानूनी सहायता करके रिहाई दिलाई गई।
कैदियों को निशुल्क चश्मा मिला
23 जुलाई को लखनऊ मॉडल जेल में नेत्र परीक्षण का मुफ्त शिविर लगाकर 108 कैदियों के आंखों की जांच कर मुफ्त में दवाएं वितरित की गई थीं। इनमें 89 कैदी ऐसे थे जिन्हें चश्मे की ज़रूरत थी, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन 89 कैदियों को मुफ्त में चश्मे भी उपलब्ध कराए गए। इस अवसर पर जेल अधीक्षक आरएन पांडे, जेलर अंजली वर्मा आदि के हाथों कैदियों में चश्मे वितरित किए गए।
एपीसीआर के सचिव एडवोकेट नज्मुस्साकिब खान ने बताया कि ज़िला जेल प्रशासन की ओर से एक ऐसी सूची मुहैया कराई गई थी, जिनमें ऐसे कैदियों के नाम थे जो अपनी सजा पूरी करने के बाद भी जुर्माना राशि अदा न कर पाने और पैरवी न होने के कारण अभी भी जेल की सलाखों के पीछे थे, ऐसे कैदियों की स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एसोसिएशन ने पैरवी करके उनकी रिहाई कराई।
इस मौके पर जेल अधीक्षक पीएन पांडे, जेलर आरके शर्मा, जेलर सीपी त्रिपाठी, डिप्टी जेलर विनोद कुमार वर्मा, एपीसीआर के सचिव एडवोकेट नज्मुस्साकिब खान, नाज़िम-ए-शहर जमात-ए-इस्लामी हिन्द मोहम्मद साबिर खान, शान इलाही, जेल प्रशासन अधिकारी उपस्थित थे।