सामाजिक कार्यकर्ता तनवीर आलम की फेसबुक वाल से
मुंबई, महाराष्ट्र
जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्र संगठन ने सालों पहले से अपने आपको देश की मुख्यधारा की राजनीति से अलग कर लिया था और अलीगढ़ की चहारदिवारी के अंदर बैठकर ‘मिल्लत-ए-इस्लामिया, मिल्लत-ए-इस्लामिया’ चिल्लाते रहे। आपने अलीगढ की चहारदिवारी को मुल्क समझ लिया और बच्चों को भी ऐसे ही सींचते रहे। जो संगठन ‘डिबेट’ संस्कृति से जन्म ली वो डिबेट से भागने लगी।
आप ने अपने आप को देश के दूसरे विश्वविद्यालयों से एकदम अलग ‘विशेष’ समझकर खुद को दुनिया में ‘जन्नती’ और बाकियों को ‘नर्क’ का चौकीदार मान लिया। अब तो सींचना भी बंद हो गया। इसका ज़िम्मेदार मैं इन बच्चों को तो बिलकुल नहीं मानता। ये हमारी ही ‘विकृत मानसिकता की मासूम उपज’ हैं। अब तो ये ‘इस्तेमाल’ होने वाली संगठन बनकर रह गयी।
आपने तब सोचा, मुझे क्या पड़ी है। लेकिन साहेब… एक न एक दिन सबको पड़ती है। आज पड़ गयी। ये जो अपने अपने ‘सहूलत’ वाली चौकड़ी है न, ये क्षणिक है। इससे न क़ौम का भला होना है न ‘मिल्लत’ का। कुछ करना ही है तो दीर्घकालिक योजनाएं तैयार कीजिए। ये धमा चौकड़ी न कभी रुकी है न रुकेगी। और इसमें ये जो ‘दूषित मानसिकताएं’ हैं इनसे कोई उम्मीद न लगाये।
बाजी युवाओं के ‘शुद्ध और निश्छल’ मन पर लगाइए, मेहनत कीजिए और ‘मुल्क, मिल्लत और समाज’ के दर्द की ‘सुई’ जो आप लगाते हैं उसमें ‘दवा’ भी डालिए। आप सुई जो लगाते हौं वो सिर्फ बिल्बिलवाती है, मर्ज़ नहीं जाता। अपने दरवाज़े खोलिए साहेब, दुनिया अपनी आवाज़ सुनना चाहती है और आपकी सुन्ना चाहती है। आपलोगों को अपनी आलोचना का नैतिक अधिकार दीजिए तब आपकी विश्वविख्यात आलोचना करने की शैली पर भी मुहर लगाएंगे। आवाज़ बनाइए, बदलाव आएगा।
सब कुछ बना बनाया मिलने की आशा में सदी और इंतज़ार कीजिए।
जय भारत।
आपका-
तनवीर आलम समाजवादी विचारक, समाजसेवी और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय पूर्व छात्र संगठन महाराष्ट्र, मुम्बई के अध्यक्ष हैं।
मोबाइल- 09004955775