लखनऊ, यूपी
पूरी दुनिया में मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की तीखी आलोचना की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि सरकार मुज़फ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को न्याय और पुनर्वास सुनिश्चित करने के मामले में बेहतर काम नहीं कर पाई है।
मुज़फ्फरनगर में हुए दंगों की पांचवीं वर्षगांठ पर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने सरकार की उदासीनता को ज़िम्मेदार ठहराया है। समूह ने कहा है कि सात गैंगरेप पीड़िता महिलाएं अभी भी न्याय की आस लगाए बैठी हैं। यहां पुनर्वास में भी लोगों को परेशानी हो रही है। मालूम हो कि इस दंगे में करीब 60 लोगों की जान गई थी और 50 हजार लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।
एमनेस्टी इंटरनेशनल की प्रोग्राम डायरेक्टर अस्मिता बसु ने कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मुज़फ्फरनगर और शामली में हुए दंगों के पीड़ितों को भूल गई है। सरकार ने उनके साथ हुए अन्याय के समाधान के लिए कोई भी काम नहीं किया है। पीड़ितों के मुआवजा और पुनर्वास के लिए सरकार ने अपर्याप्त काम किया है।
डायरेक्टर अस्मिता बसु ने कहा कि सात गैंगरेप के मामलों में से अभी तक किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है। उन्हें सरकार की तरफ से काफी कम सहायता मिली है। उनके अपराधी आज भी खुले में आजादी से घूम रहे हैं। सात गैंगरेप पीड़िताओं में से एक की तो बच्चे को जन्म देते समय मौत भी हो गई।
मानवाधिकार से जुड़े एक कार्यकर्ता का तो ये भी कहना है कि पीड़ित महिलाएं मदद के लिए भी गुहार नहीं लगा सकतीं। कई मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी कहा गया है कि उनके परिवार को समझौता करने के लिए पैसे भी दिए गए जिन्हें उन्होंने स्वीकार कर लिया। अब उन महिलाओं का सिस्टम पर से विश्वास ही उठ चुका है।