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23 Dec 2024, Mon

डॉ अशफाक़ अहमद

हैदराबाद, तेलंगाना
तेलंगाना विधान सभा चुनाव में इस बार बेहद दिलचस्प मुकाबला होता नजर आ रहा है। इस चुनाव में जिस बात पर जोरदार चर्चा चल रही है वह यह है कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व में बने महागठबंधन के घटक दल क्या अपना-अपना वोट एक-दूसरे को दिला पाएंगे? या यूं कहें कि गठबंधन में सबसे बड़े दल कांग्रेस को उनके साथियों का वोट मिलेगा। राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के घटक दलों को मिले मतों का हिस्सा टीआरएस के मत प्रतिशत से अधिक था।

सत्तारूढ़ टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) को 2014 के विधानसभा चुनाव में 34.3 फीसदी वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस को  25.2 और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को 14.7 फीसदी वोट मिले थे। टीडीपी का पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन था। भाजपा सात दिसंबर को होने वाले तेलंगाना विधान सभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी है। टीआरएस भी अकेले ही चुनाव लड़ रही है।

कांग्रेस, टीडीपी, तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और भाकपा ने टीआरएस से मुकाबला करने के लिये ‘प्रजाकुटामी’ यानी जनता का महागठबंधन बनाया है। तेलंगाना के लिये कांग्रेस प्रभारी आर सी खुंटिया ने कहा कि ‘विवशता’ के चलते गठबंधन के घटक दल एक साथ गए हैं और वह उम्मीद करते हैं कि गठबंधन टीआरएस से मुकाबला करने के लिये मिलकर काम करेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि चुनाव में गठबंधन को बहुमत मिलेगा।
कांग्रेस प्रभारी खुंटिया ने कहा कि टीआरएस और उनके वर्तमान मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने जिस तरह से राज्य को चलाया उससे लोग बहुत नाराज़ हैं। वे टीआरएस को सत्ता से बाहर कर देना चाहते हैं।

कांग्रेस और टीडीपी को पिछले चुनाव में मिले मतों के प्रतिशत का हवाला देते हुए टीडीपी पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य रावुला चंद्रशेखर रेड्डी ने कहा कि भाकपा और टीजेएस के साथ आने से गठबंधन बहुत मजबूत है। रेड्डी के अनुसार गठबंधन के घटक दलों के एक-दूसरे के वोट निश्चित रूप से मिलेंगे क्योंकि यह अवश्यंभावी है।

वहीं टीआरएस अध्यक्ष और कार्यवाहक मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव अपनी वापसी का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य में उन्होंने हर वर्ग के लिए काम किया है। सरकार में सत्ता के साथ रही एमआईएम अलग चुनाव लड़ रही है। पिछली विधान सभा में उसके 7 विधायक थे। इस बार वो इस संख्या को बढ़ाना चाहती है।