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22 Nov 2024, Fri

अलीग सीनियर्स और शिक्षकों के नाम एक जूनियर का खुला ख़त

मुम्बई, महाराष्ट्र  

आदाब (90 डिग्री),
जनाब।।। मुसलमानों में दोहरे मापदंड की ऐसी स्थिति बन चुकी है जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त से लेकर अंगूठा छाप तक ग्रस्त और लोग उनसे त्रस्त हैं। ‘दलाल’ का सर्टिफिकेट तो हम पहले से छपा कर रखते हैं, बस उस पर नाम भरना रहता है।

TANWEER ALAM

अब ये स्क्रीन शॉट ही देखिए, ज़फर सरेशवाला कोई है, उसपर हमारे सीनियर हज़रत की प्रतिक्रिया। इसके ठीक विपरीत अपने ही इदारे के जिम्मेदारों द्वारा हो रहे भरष्टाचार, धांधली पर कभी किसी ‘तथाकथित और सर्वमान्य सीनियर’ हज़रत की तरफ से कोई आपत्ति या प्रतिक्रिया आम तौर पर नहीं आती। जनाब, पूरी दुनिया सरेशवाला के कृत्य और विचार से अवगत है, आप दुनिया को उससे अवगत क्यों नहीं कराते जिसकी ज़िम्मेवारी सर सय्यद ने आपके हवाले की थी और क़ौम-ओ- मिल्लत की रहनुमाँ के तौर पर सींचने के लिए अपने जीवनकाल में ‘इख्वानुन्नफसा’ की स्थापना की थी।

सर सय्यद ने ‘असबाब बग़ावत-ए-हिन्द’ लिख कर अंग्रेजों के मुंह पर वो तमाचा जड़ा कि अँगरेज़ बिलबिला कर रह गए लेकिन सर सय्यद के किरदार और क़लम को नकार नहीं सके। वो आपका/हमारा किरदार दुनिया को क्यों नहीं परोसते। हमारी कमज़ोर आवाज़ दुनिया के खिलाफ उठती भी है तो अमुवि प्रशासन की धांधलियों के खिलाफ क्यों नहीं उठती। इसके विपरीत ‘दायें और बाएं महाज़’ पर हमारा प्रहार इतना ज़बरदस्त क्यों होता है। अमुवि आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ से शायद सबकुछ बदल जाये, इस बदलाव की ज़िम्मेदारी मेरी, आपकी और पुरे मिल्लत इस्लामिया पर जायेगी। अपने आपको भी ज़िम्मेवार मानते हुए मैं कुछ सवाल अपने सीनियर और अमुवि के शिक्षकों से करना चाहता हूँ और मैं चहुंगा की वो भी मुझसे पूछें। मुझसे सवाल वही पूछेगा जिसने अमुवि में जुगाड़ से कोई एडमिशन या बहाली न कराई हो।

1 . स्वतंत्रता के बाद आपलोगों ने सामूहिक रूप से ऐसे कौन से कार्य किए जिससे मैं अपने आपको ‘ प्राउड अलीग’ कहूँ।
2 . सर सैय्यद को शिक्षा के आंदोलन का जनक कहा जाता है, आप लोगों ने सामूहिक रूप से कितने संस्थान बनाये।
3 . इत्तेहाद के नाम पर आप लोग हमेशा एक होने की बात करते हो, इत्तेहाद क्या है, स्थायी या अस्थायी, मुद्दों के ऊपर इत्तेहाद या धर्म के नाम पर। धर्म के नाम पर तो बरेलविओं के साथ करूँ, देबन्दीओं के साथ या वहाबियों के साथ। अलिग के बीच इत्तेहाद, तो किसके ‘कांदु’ या अपना वाला, अपने में भी किसके साथ, हाफिज इल्यास, अदीब भाई, वसीम भिन्डी, खालिद मसूद, आज़म मीर, अज़मगढ़ी, बिहारी, सम्भली या जीबीएस का इत्तेहाद।
4 . हम हमेशा आरएसएस को गाली देते हैं, हमारे पास आरएसएस हथकंडों को काटने का उत्तम संस्थानुगत साधन था ‘Old Boys Association’, हर शहर में 10-10000 तक अलिग हैं, कहीं कहीं अधिक। आपलोगों ने इस संस्था को शहर-शहर बनाकर जोड़ने का कार्य क्यों नहीं किया।
5 . ‘सर सय्यद डे’ को बिरयानी डे बना दिया, क्या 50 साल पहले भी ये बिरयानी डे ही था या पुरे साल किए अपने सामाजिक कार्यों की समीक्षा भी करते थे।
6 . हम पूरी दुनिया में व्याप्त भ्रस्टाचार पर बात करते हैं, अमुवि में हो रहे भरष्टाचार पर क्यों नहीं, हम दूसरों को दल्ला कहते हैं अपनों को क्यों नहीं?
7 . अमुवि सिर्फ एक शिक्षण संसथान नहीं, आपलोग ही कहते हैं, तो पढ़ने के अलावा आप लोगों ने हमें क्या सिखया, नेतागीरी, दलाली, चापलूसी। तो इसमें भी कहाँ हैं हमलोग।
8 . कुछ लोगों का मानना है की अमुवि छात्र संघ में अब वो बात नहीं। हम लोग फिर किन लोगों को, किस समय के लोगों को अपना आदर्श मानें।
9 . शिक्षकों से विनम्रता से पूछना चाहूँगा की आप अपने शिष्यों को क्या बना रहे हैं, डॉ., इंजीनियर, वकील, कलेक्टर, एसपी, ब्यवसाई या आदर्श पुरुष भी, भारतीय भी। अगर आदर्श पुरुष बना रहे तो कैसा, अपने जैसा आदर्शवादी या अपने नबियों, सहबियों या वालियों जैसा। अगर अपने जैसा तो क्या ऐसा ही जैसा आपने 31 जुलाई के ‘कोर्ट चुनाव’ या ऐसे मौक़ों पर हर बार दुनिया के सामने रखा ऐसा आदर्श। अगर नबियों, सहाबियों और वालियों वाला आदर्श तो फिर आपका आदर्श कैसा है, ‘मुनाफ़िक़ों’ जैसा।
10. क्या सर सय्यद की शिक्षा यही थी ? आप अपने प्रोफेसर, रीडर, लेक्चरर के पद को बनाये रखने के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। अगर आप खुद इतना गिर सकते हैं तो अपने शिष्यों को कहाँ तक गिरने की शिक्षा देंगे?
11. अमुवि का स्थान भारत में ‘तालीमी इदारों का खलीफा’ की रही है, आदरणीय शिक्षकों क्या आपने आदर्श विश्वविद्यालय का कर्तब्य निभाते हुए भारत के दूसरे संस्थानों को खड़ा होने में, सींचने और बनाने में सहायता की है या महज़ अपना ‘पेपर प्रेजेंट’ करने जाते रहे हैं ?
12. हिन्दू साम्प्रदायिकता पर पूरी ताक़त से प्रहार, मुस्लिम साम्प्रदायिकता पर खामोशी क्यों ?
13. अंत में, अगर अमुवि का अल्पसंख्यक दर्जा छिन जाता है तो क्या आपलोग सड़कों पर उतरकर 1967-81 का इतिहास दुहराने का जज़्बा रखते हैं? अगर हाँ तो उसकी क़यादत कौन करेगा, आप, कांग्रेस या उनके समाजवादी साथी ।

आशा है, मेरे जैसे हज़ारों ‘जूनियर’ के मर्म को समझते हुए आप ‘सीनियर और शिक्षक’ महोदय मेरे पत्र द्वारा कहीं बातों का संज्ञान लेने की कृपा करेंगे।

सादर।।

TANWEER 1
तनवीर आलम समाजवादी विचारक, समाजसेवी और अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय पूर्व छात्र संगठन महाराष्ट्र, मुम्बई के अध्यक्ष हैं।
मोबाइल- 09004955775

One thought on “अलीग सीनियर्स और शिक्षकों के नाम एक जूनियर का खुला ख़त”
  1. Mohsin Raza
    Mohsin Raza My dear Tanveer sb & other friends Assalamoalaikum
    you have raised some very pertinent and valid questions from teachers and seniors
    The Teachers dont participate in discussions at any forum whether thru email or other media like FB.Reasons are well known to all.If teachers are so scared to speak on any issue,these teachers,who are supposed to build the character of boys and girls.How will they build the character of students.An important part of character is the gospel of free enquiry,valour,honesty,large hearted toleration, and of pure morality.
    Regarding alumni;some alumni speak who are branded as DETRACTORS.
    The 3 Institutions 1.Old boys association,2.AMUTA and 3. AMUSUnion,have been systematically destroyed in last 2 decades by a combined effort from all with covert support of administration.
    They are all at logger heads with eachother,vested interests,selfish motivation,inbreeding,favouritism,land banking,with us OK, otherwise against us attitude,are the distinctive features of the socially shattered society. You notice a race of people primarily concerned with making money or getting favors at the expense of ethics.
    The Society is SELF DESTRUCTIVE…Sareshwala may be right when he says that Minority character is lost due to Muslims.
    From 2005 to 2015…10 years were wasted by precious diamonds,waiting for BJP to assume power and relieve AMU of the burden of Minority character.
    My dears the Society of MUSLIMS IS IN PROCESS OF DECAY .Please stand erect to stop the decay.
    We need a SOCIETAL CHANGE..
    Let us put a stop on allegations,abusing,causing harm to others.We must stop TABARRA BAZI.
    SOCIETAL CHANGE is a different topic which I usually write for over 2 years without causing an itch on ears of people, that someone is talking about them.
    Dr Mohsin Raza………………………………………………………………………………………………..I will paste amy article in OKHLA TIMES over an year ago as follows “A MISFORTUNE AT AMU”……………………………………………………………………………………….QUOTE:A MISFORTUNE at AMU Mohsin raza Okhla times
    AMU is the largest residential campus with over 22000 students residing in hostels
    It is extremely unfortunate that 3 distinct blocks exist at AMU Campus
    They think differently, act differently and behave differently.
    1.Administration which has temporary tenure, powerful ,invincible & not infrequently
    Impermeable.
    2.Teachers are permanent.Majority are good but many are selfish motivated, facultative
    parasites,whenever needed,resort to parasitic activity,with a mutation .They
    rely absolutely on the permanent host,for completion of their life cycle at AMU.
    In academic Executive Councils and AMU Court,they vote to appease the chair.
    Teachers association is a representative of the best brains of community.But they have
    failed to show their worth in teaching staff association.In the past many resolutions passed by
    AMUTA have been anti-academic,ridiculous,Laughable & sign of absolute cowardice viz.
    opposing order that Teaching staff be present until 4 PM.AS A RESULT;Their good resolutions too LOST THEIR VALUE.
    3.Students are like raw material who can be carved into beautiful products.
    Students come up with their own concepts.No basic moral teaching is imparted to them
    At AMU.They should be made to realize that they are important to themselves,families and to
    the Almamater.The AMU culture is not only known to leave behind a legacy from teachers,wardens,Provosts,Proctorial Staff ,monitors & senior students,but also inspire new comers.These innocent new arrivals are thrown into regionalism,Districtism and villagism by
    the vested interests,allegedly sponsored & protected by a group of teachers or
    Administrators.
    The Admnistration & teachers are divergent in the approach.
    Accusation on one side, impermeability & and silence on the other side tend to raise
    serious doubts in minds of people,visa vis. legitimacy of administration.
    The tension between them quickly crosses the Babe Syed & University Circle,
    in the form of MEDIA & Information WARFARE, resulting in more Conflicts .
    It is a very dangerous trend …
    If Administration & teachers can’t safeguard the reputation of Almamater….
    Then WHO WILL DO?
    Dr. Mohsin Raza Alig. Sr. Surgeon & Cons
    Mohsin Raza’s photo.

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