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22 Dec 2024, Sun

मुसलमान: अखिलेश के “पूरे हुए वादे” सच या झूठ

NIZAMUDDIN ON AKHILESH 1 281216

डा निजामुद्दीन खान 

यूपी में सत्ता पर काबिज़ समाजवादी पार्टी ने चुनाव घोषणा पत्र 2012 में प्रदेश की जनता से बहुत सारे वादे किये थे। इस घोषणापत्र में मुसलमांनो से संबंधित 16 वादे किये थे। इसकी बुनियाद पर उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने अपना पूरा का पूरा वोट और सपोर्ट समाजवादी पार्टी की झोली में डाल दिया था। यहीं वजह रही कि समाजवादी पार्टी प्रचंड बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने में सफल हुई थी। अब जब कि सपा सरकार के पांच साल का कार्यकाल पूरा होने को है, लेकिन सरकार ने अब तक अपना एक भी वादा पूरा नहीं किया। इसके उलट समाजवादी पार्टी प्रदेश की जनता से निरंतर झूठ बोल रही हैं कि सरकार ने सभी वादे पूरे कर दिये हैं। इसके लिए सरकारी तंत्र राज्य सूचना एंव जनसंपर्क विभाग की तरफ से झूठा प्रचार किया जा रहा है कि सपा सरकार में सभी वादे पूरे हो गये।

सपा के घोषणा पत्र- 2012 में प्रदेश के मुस्लिम समुदाय से उनकी आबादी के आधार पर 18 फीसदी आरक्षण दिए जाने का वादा किया गया था। इस पर विधान सभा में 30 अगस्त 2016 को विपक्ष ने सीएम अखिलेश यादव को मुस्लिम आरक्षण दिए जाने का वादा याद दिलाया। इसपर सीएम ने अपने सीनियर मंत्री और मुस्लिम चेहरे आज़म खान से कहलाया कि मुसलमानों को 18 फीसदी क्या 0.18 फीसदी भी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। यहां तक कहा गया कि ऐसा सपा ने कोई वादा भी नहीं किया था।

इसी तरह सपा ने वादा किया था कि मुस्लिम बाहुल्य ज़िलों में शैक्षिक संस्थानों की स्थापना, (घोषणा पत्र के पेज़ न० 13, घोषणा नं 3) की जाएगी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 4 पेज न० 13 बेक़सूर मुस्लिम नौजवानों को फ़ौरन रिहा करते हुए मुआवज़ा के साथ कलंकित करने वाले अधिकारी को दण्डित करने की बात कही गई थी जो कि सपा सरकार ने नहीं किया। इसके विपरीत जो बेगुनाह अदालत से बाइज़्ज़त बरी किए गए हैं उनके खिलाफ सरकार अपील कर रही है। विधानसभा से पारित आरडी निमेष कमीशन के सुझाव को आज तक अमल में नहीं लाया गया।

घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 5 पेज न० 13 उर्दू की प्रोन्नति के लिए मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में प्राइमरी मिडिल और हाईस्कूल स्तर पर सरकारी उर्दू मीडियम स्कूलों कि स्थापना की बात कही गई थी और उर्दू को पहले की तरह रोज़ी-रोटी से जोड़ते हुए नौकरियां देने का वादा किया गया था। इसपर सरकार एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 6 पेज न० 13 पर मदरसों में तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष बजट का समायोजन करने का वादा किया गया था जो आज भी पूरा नहीं हुआ।

घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 7 पेज न० 13 मुसलमानों के अन्दर आत्मविश्वास पैदा करने के लिए राजकीय सुरक्षा बलों में मुसलमानों की भर्ती का विशेष प्रावधान किया जायेगा और कैम्प आयोजित करके उनकी भर्ती की जाएगी, जो कि सरकार ने पूरा नहीं किया। घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 9 पेज न० 13 दरगाहों को संरक्षण और विकास के लिए दरगाह एक्ट बनाया जायेगा और राज्य में मौजूद सभी दरगाहों के विकास के लिए स्पेशल पैकेज आवंटित किया जायेगा। ये भी बादा पूरा नहीं किया गया। घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 10 पेज न० 14 सभी सरकारी कमीशनों, बोर्डो और कमेटियों में कम से कम एक अल्पसंख्यक प्रतिनिधि को सदस्य नियुक्त करने का वादा किया गया था जो कि पूरा नहीं किया गया।

घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 11 पेज न० 14 वक्फ जायदादों की हिफाज़त के लिए अलग से कानून बना कर वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति से अवैध कब्ज़े हटवाकर उन्हें वाकिफ के हवाले कर दिया जायेगा और वक्फ बोर्ड की जायदादों को भूमि अधिग्रहण अधिनियम के दायरे से बाहर रखा जायेगा। जिन जमीनों पर कब्ज़ा कर फ़र्ज़ी किरायेदारी कायम की गयी है उन पर बानी इमारतों को जमीन के साथ वाकिफ को दे दिया जायेगा इसे भी पूरा नहीं किया गया।

घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 12 पेज न० 14 जिन औधोगिक क्षेत्रो में अल्पसंख्यको की बहुलता है जैसे- हथकरघा, हस्तकला, हैण्डलूम, कालीन उद्दोग, चूड़ी, ताला, जरी, जरदोज़ी, बीड़ी, कैंची उद्योग, उन्हें राज सहायता देकर प्रोत्साहित किया जायेगा। हथकरघों पर बिजली के बकाया बिलों पर लगने वाले ब्याज, दण्ड ब्याज को माफ़ कर बुनकरों को राहत दी जाएगी। छोटे और कुटीर उद्योगों में कुशल कारीगरों की कमी को पूरा करने के लिए प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर एक-एक आईटीआई की स्थापना की जायेगी। ये वादा भी पूरा नहीं हुआ। घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 14 पेज न० 14 मुसलमानों के वह शैक्षिक स्थान जो यूनिवर्सिटी की शर्तो पर पूरे उतरते है,उन्हें कानून के तहत यूनिवर्सिटी का दर्ज़ा दिया जायेगा। जो पूरे नहीं किये गये। घोषणा पत्र के प्वाइंट न० 15 पेज न० 14 किसान की तरह गरीब बुनकर को भी बिजली मुफ्त दी जायेगी, जो पूरे नहीं किये गये।

इसी क्रम में यूपी सरकार एक ऐसी सरकार साबित हो गयी है, जहां महिलायें सबसे ज्यादा असुरक्षित है। भारत सरकार के नियंत्रण और महालेखा परीक्षक में अपने प्रतिवेदन संख्या 3 पेज न० 71 साल 2016 में एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले 4 सालों में महिलाओं के खिलाफ घटनाओं में 58 फीसदी की वृद्दि दर्ज की गयी है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो साल 2014 की रिपोर्ट के अनुसार यूपी ने उन राज्यों की सूची में काफी ऊपर रहा है। महिलाओं के विरूद्ध सर्वाधिक अपराध यहीं हुए हैं, जिससे यह साफ होता है कि सपा सरकार में न्याय व्यवस्था की बहुत खराब है। सपा सरकार ने सारे जन विरोधी निर्णय भी लिये हैं।

राज्य विधान मण्डल में 7 अकटूबर, 1989 को उर्दू को प्रदेश की दूसरी राज्य भाषा का दर्ज़ा मिला हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश 4 सितंबर 2014 को उत्तर प्रदेश की दूसरी राज्य भाषा का दर्जा बरकरार रखा। इसके बावजूद 3 दिसम्बर 2015 को में राज्य सूचना आयोग की भाषा का वर्णन करते हुए उर्दू भाषा को हटा दिया है। राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से राज्य विधान मण्डल के एक साथ दोनों सदनों के सामने 18 फरवरी 2015 को अभिभाषण अल्पसंख्यक समुदाय के सम्बन्ध में पढ़वाया गया। अल्पसंख्यक समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए प्राथमिक और इण्टरमीडिएट तक तालीम उपलब्ध कराये जाने और शैक्षड़िक हब अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में स्थापित किये जाने के सम्बन्ध में कोई भी कार्य नहीं किया।

पांच साल गुज़र जाने के बाद सीएम अखिलेश आखिरी वक्त में लगातार उद्घाटन कर रहे हैं लेकिन मुसलमानों के लिए इनमें कोई खास तवज्जो नहीं दी जा रही है। अब सवाल ये है कि सपा मुसलमानों के बीच अपने कौन से काम को लेकर जाएगी। हालंकि सीएम अखिलेश दावा करते हैं कि उनके कार्यकाल में सबसे ज़्यादा विकास काम हुए हैं लेकिन मुसलमानों के लिए इन कामों में कितनी हिस्सेदारी मिली इसका कोई डाटा वो नहीं दे रहे हैं। सीएम मुसलामानों को 20 फीसदी फायदे की बात करते हैं लेकिन ये फायदा कहां दिया गया सका कोई आंकड़ा नहीं है। कब्रस्तान, हज हाउस से लेकर एक दो काम को छोड़ दें मुसलमानों के काम तो ज़मीनी हकीकत से ज़बानी हकीकत से कोसों दूर हैं।

(लेखक राजनीतिक दल से जुड़े हैं और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इन्डिया के नेशनल क्वार्डिनेटर हैं)