लखनऊ, यूपी
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का प्रचार जोर पकड़ने लगा है। राजनीतिक दल अब धार्मिक गुरुओं का इस्तेमाल अपने प्रचार के लिए कर रहे हैं। बुधवार को सपा सरकार के दो मुस्लिम मंत्रियों ने एक दर्जन मौलानाओं के मीडिया के सामने पेश किया। इन मौलानओं ने सपा सरकार और अखिलेश के समर्थन का एलान किया। जब मीडिया ने इनके समर्थन और पेश किए गए डेटा पर सवाल किए ये मौलाना जवाब देने के बजाए प्रेस कांफ्रेंस बीच में ही छोड़कर निकल गए।
राजधानी लखनऊ में हर रोज़ किसी ना पार्टी विशेष के लिए धार्मिक संगठन वोट मांग रहे हैं। आज प्रेस क्लब में सपा सरकार के समर्थन के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस रखी गई थी। इसका आयोजन सपा सरकार में राज्य मंत्री शकील अहमद ने किया था। इस प्रेस कांफ्रेंस में मदरसा एसोसिएशन के अध्यक्ष मुफ्ती एजाज़ अरशद, मौलाना महाद शेख, मदरसा निज़ामिया के प्रिंसिपल मौलाना साजिद अली समेत दर्ज़न भर उलेमाओं को बुलाया गया था।
इस बीच एक मुस्लिम रिजर्वेशन के पीएनएस के सवाल पर एक उलेमा ने कहा कि ये केंद्र का मामला है तो पीएनएस ने सवाल किया कि सपा सरकार ने पांच साल में इसके लिए क्या किया तो उलेमा खामोश हो गए। मुजफ्फरनगर दंगे औरतों की आबरूरेज़ी के सवाल पर कांफ्रेंस में मौजूद एक उलेमा ने कहा कि वह जमीन से जुड़े हैं और उनको हकीकत पता है, दो चार ऐसे केस तो होते रहते हैं सीएम कहां तक ये केस देखें। पत्रकारों ने पेश किए गए डेटा के बारे में सवाल किया तो उलेमा कन्नी काटने लगे और ये कहकर बाहर निकल गए कि प्रेस कांफ्रेंस खत्म हुई।
इससे पहले प्रेस कांफ्रेंस से बात करने हुए मदरसा एसोसिएशन के अध्यक्ष मुफ्ती एजाज़ अरशद ने कहा कि सपा सरकार ने मुसलमानों के लिए सबसे ज़्यादा काम किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने 8 हज़ार मुसलमानों को उर्दू टीचर की नौकरी दी। कब्रिस्तान की बाउंड्री से लेकर 20 फीसदी हर योजना में मुसलमानों को फायदा दिया है।
प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद उलेमाओं ने कहा कि बीएसपी मुसलमानों के साथ धोखा किया है। उलेमाओं ने कहा कि बसपा सुप्रीमो ने पोटा जैसे कानून का समर्थन किया था जो सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ था। यही नहीं, बीजेपी के साथ मिलकर दो बार सरकार बनाई। उलेमाओं ने मुसलमानों से अखिलेश को दोबारा सीएम बनाने की अपील की।