लखनऊ, यूपी
यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार ने उर्दू ज़बान को आरटीआई से बाहर कर दिया है। कहने के लिए तो उर्दू ज़बान प्रदेश की दूसरी सरकारी ज़बान है, लेकिन सूचना का अधिकार से उर्दू ज़बान को बाहर कर दिया गया है! आरटीआई के दस साल पूरे होने पर यूपी सरकार द्वारा बनायीं गयी परिनियमावली में सूचना मांगने के पत्राचार की भाषा हिंदी और अंग्रेजी कर दी गयी! अन्य दूसरी भाषा में उर्दू को स्वीकार नहीं किया जायेगा!
मालूम हो कि केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने 13 अगस्त, 2005 को सूचना का अधिनियम लागू किया था। इसमें आम लोगों को सूचना पाने का अधिकार दिया था। इसके दस साल पूरे होने पर आरटीआई की धारा 27 का इस्तेमाल करते हुए यूपी सरकार ने 03 दिसंबर, 2015 को प्रथम परिनियमावली बनायीं। इस परिनियमावली में सूबे की दूसरी सरकारी ज़बान “उर्दू” को बाहर कर दिया गया।
उर्दू के सूचना का अधिकार से बाहर होने पर कई लोगों की यूपी सरकार की कड़ी आलोचना की है। दूसरी तरफ राजनीतिक दल अब इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।