जौनपुर, यूपी
देश को आज़ाद कराने के लिए सभी धर्मों के लोगो ने कुर्बानियां दी है। देश हर कोने में सैकड़ो की तादाद में लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। सैकड़ों ऐसे शहीद है जिन्हें देश भूल गया है, ज़रूरत इस बात की है कि उन्हें सम्मान दिया जाए। देश में स्वतंत्रता की पहली लड़ाई 1857 में बहादुर शाह जफर की अगुवाई में लड़ी गई। ये बातें एमआईएम के ज़िलाध्यक्ष इमरान बंटी ने कही।
AIMIM की ज़िसा यूनिट ने ज़िला कार्यालय बदलापुर पड़ाव पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण किया और राष्ट्रगान गाकर आज़ादी के शहीदों को याद किया गया। ध्वजारोहण के बाद ज़िलाध्यक्ष इमरान बंटी की अध्यक्षता में एक बैठक सम्पन हुई। बैठक का संचालन कोषाध्यक्ष जावेद सिद्दीकी ने किया। बैठक में देश को आज़ाद कराने वाले शहीदों के योगदान पर चर्चा हुई।
इस मौके पर ज़िलाध्यक्ष इमरान बंटी ने जंगे आज़ादी की लड़ाई में शहीद हुए क्रांतिकारियों के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रेशमी रुमाल, तहरीके आज़ादी, तहरीके मुवालात जैसी तहरीके मुल्क़ को आज़ाद कराने के लिए चलाई गई। ये तहरीकें उलेमाओं ने चलाई। अंग्रेजों ने सैकड़ों तादाद में उलेमाओं को फांसी पर लटका दिया गया। जिन्हें आज देश भूल गया है। ज़रूरत इस बात की है कि ऐसे उलेमाओं को याद किया जाए।
इस मौके पर ज़िला महासचिव शफीउद्दीन, उपाध्यक्ष शाहनवाज, मंज़ूर, असाद, खालिद जौनपुरी, तारिक, सत्यम, आमिस अंसारी, यासिर, अब्दुल रशीद, सोबी समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद रहे।