लखनऊ, यूपी
(जमील दोषी का शेर)
कोरोना के बाद उर्दू को फरोग देने के लिए लखनऊ में एक बार फिर लोगों ने मुहिम छेड़ी है। अब अदबी महफिलें आम हैं। उर्दू पर बैनुल अक्वामी सेमिनार हो रहे हैं। पर इन सब से हट कर उर्दू अदब की छोटी महफिलें अपना असर ज़्यादा छोड़ रही हैं। ऐसी ही एक अदबी महफिल हर दिल अज़ीज़ हम सब के बड़े भाई अरशद आज़मी साहब ने अपने घर पर रखी। दरअसल अरशद आज़मी साहब की अदब से मोहब्बत उन्हें विरासत में मिली है। अरशद भाई कहते हैं कि वो शौकिया शेर-ओ-शायरी करते हैं। पर जब आप उनके शेर सुनेंगे तो लगेगा कि उनकी शायरी मौजूदा हालात को दर्शाती हुई अदब की तरफ ले जाती है।
खैर… इस बार अऱशद आज़मी भाई ने 1 जून 2023 को महफिल जमाई। “कौमी एकता फोरम” के बैनर तले “नशिस्त बराए फरोग उर्दू” महफिल जमी। इस अदबी महफिल की सबसे खास बात ये थी कि तीन जेनरेशन एक साथ एक महफिल में नज़र आई। महफिल में एक तरफ शायरों ने अपने कलाम से नवाज़ा तो दूसरी तरफ मौजूद मेहमानों ने उर्दू को सजाने, संवारने, संभालने, उसकी खूबसुरती को बढ़ाने और उसे हर घर, हर ज़बान तक पहुंचाने के लिए अपनी जद्दोंजहद जारी रखने की बात कही।
महफिल की शुरुआत करते हुए अरशद आज़मी साहब ने मेहमानों का इस्तकबाल किया और निज़ामत का काम फिलवक्त के शानदार नाज़िम परवेज़ मलिकज़ादा के कंधों पर दिया। इसके बाद प्रोग्राम में एक तरफ शायरों ने अपने कलाम पेश किए तो दूसरी तरफ मेहमानों की तकरीर।
नौजवान शायर हर्षित मिश्रा की शायरी पर सब वाह वाह कर उठे। शायर शाहबाज़ तालिब खूब जमे। 56 किताबों मुसंनिफ डॉ शाकिर सुल्तान ने उर्दू पर अपनी बात रखी तो शायर सैफ बाबर की जोश भऱी शायरी ने खूब वाहवाही लूटी। जब स्टेज पर राम प्रकाश बेखुद आए तो लगा कि अब ये नशिस्त अपने ऊरूज़ पर है। मालिकज़ादा जावेद साहब ने नशिस्त में चार चांद लगा दिया तो जमील दोषी को सुनने के बाद लगा कि नशिस्त ने अपनी कामयाबी का परचम छू लिया। महफिल में मौजूद वासिफ फारूकी को सुनना ऐसा लगा कि जैसे किसी बुज़ुर्ग ने कामयाबी की दुआ दे दी हो। निज़ामत कर रहे परवेज़ मलिकज़ादा साहब ने सभी शायरों और मेहमानों को बखूबी एक धागे में मोतियों की तरह पिरो दिया।
अदबी महफिल में मौजूद सीनियर सहाफी उबैदुल्लाह नासिर उर्दू को आगे बढ़ाने का मशविरा दिया। डॉ अशफ़ाक़ अहमद ने उर्दू शायरों ने डिज़िटल मीडिया के इस्तेमाल करने की ज़रूरत बताई। अज़ीज़ हैदर ने अपने चैनल पर उर्दू को खास तवज्जों देने की बात कही। महफिल की सदारत हम सब के चचा अमीर हैदर साहब ने की। उन्होंने उर्दू को फरोग देने के लिए मुहिम चलाने की बात कही। वहीं पूर्व मंत्री मोईद अहमद साहब मेहमान खुसुसी रहे। उन्होंने एक आलमी मुशायरा जल्द कराने का एलान किया। इस मौके पर सोशल वर्कर नदीमुद्दीन, रेहान भी मौजूद रहे।