आज़मगढ़, यूपी
राजनीति में न तो कोई स्थायी दोस्त है और नहीं कोई स्थायी दुश्मन। सपा-बीएसपी गठबंधन के बाद ऐसा की कुछ नज़ारा देखने को मिल रहा है। दरअसल कभी मुख्तार अंसारी की पार्टी का सपा में विलय से इंकार करने वाले अखिलेश यादव के लिए अब मुख्तार अंसारी के बेटे, और उनेक भाई अफज़ाल अंसारी प्रचार कर रहे हैं। अंसारी कुंबा आज़मगढ़ में अखिलेश यादव के वोट मांग रहा है। यहीं नहीं अखिलेश के नामांकन से समय इस कुंबे के सैकड़ों लोग आज़मगढ़ पहुंचे।
दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में मुख़्तार अंसारी की क़ौमी एकता दल का मुलायम सिंह की सहमति पर सपा में विलय हुआ था। इस विलय में उस समय सपा के कद्दावर नेता रहे शिवपाल सिंह यादव ने अहम भूमिका निभाई थी। क़ौमी एकदा दल के विलय के फौरन बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नाराज़ हो गये थे। उसके बाद काफी नाटकीय अंदाज़ में क़ौमी एकता दल का सपा में विलय रद्द कर दिया गया था।
आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को जीत को लेकर अब्बास अंसारी पूरी तरह आश्वस्त नज़र आ रहे हैं। मीडिया से बात करने पर कहते हैं कि हम लोग जीत का अंतर बढ़ाने के लिए आएं हैं। ये सीट सपा-बीएसपी का परंपरागत सीट रही है और हम लोग इस सीट पर सपा प्रमुख की जीत को ऐतिहासिक बनाना चाहते हैं।
पिछले चुनाव में यहां से पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे लेकिन उनकी जीत का अंतर हज़ारों में था। अब इस सीट पर सपा और बीएसपी के कार्यकर्ता जीत के अंतर को लाखों में ले जाना चाहते हैं। अब्बास अंसारी कहते हैं कि यहां लड़ाई में कोई है ही नही। हम कार्यकर्ताओं के साथ इस बात की मेहनत कर रहे हैं कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव जी यहां से लाखों वोट से जीते और इतिहास रचे।
इससे पहले अब्बास अंसारी आज़मगढ़ में सपा के केंद्रीय चुनाव कार्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने स्तानीय नेताओं से मुलाकात की और अपने समर्थकों को क्षेत्र में जुटने के लिए कहा। दरअसल गाज़ीपुर के आसपास के ज़िलों में युवाओं खासकर मुस्लिम युवाओं के बीच अब्बास अंसारी का काफी क्रेज है। ऐसे में अब्बास अंसारी के आज़मगढ़ आने से सपा को फायदा मिलेगा।