फोन नहीं उठाते जेई और एसडीओ
मोहम्मद शारिक ख़ान
जौनपुर, यूपी
जौनपुर ज़िले में बिजली कटौती से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इस बार पड़ रही भीषण गर्मी से निजात के लिए लोगों के पास बिजली का ही सहारा है लेकिन यहां तो बिजली सिर्फ दर्शन देने आती है। गांवों की बात छोड़िए शहर में बिजली कटौती ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। सबसे खास बात ये है कि राज्य के बिजली मंत्री इसी शहर के शाहगंज के विधायक हैं। अब जब चुनाव सर पर है तो सत्ता पक्ष की बेरुखी और विपक्षी नेताओं के गायब होने से जनता हैरान है।
सबसे पहले बात शहर की करें तो यहां बिजली की कटौती का कोई हिसाब नहीं है। भीषण गर्मी में लोगों को पंखे की हवा तो दूर पीने का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। रमज़ान महीने में अफ्तार और सहरी के वक्त यूपी सरकार के आदेश के बावजूद बिजली नहीं आ रही है। लोगों का कहना है कि बिजली कब आती है इसका वक्त भी तय नहीं है। लोगों को इससे भारी कठिनाईयों का समना करना पड़ रहा है।
बात शाहगंज की करें तो यहां का हाल सबसे बुरा है। राज्य के बिजली मंत्री शैलेंद्र यादव ललई इसी विधान सभा से विधायक हैं। इसके बावजूद यहां भारी कटौती की जा रही है। शाहगंज तहसील के गांव मानीकलां में पिछले दिनों इसी मुद्दे पर जमकर बवाल हुआ। दरअसल यहां का एक ट्रांसफार्मर पिछले दो महीने से खराब है लेकिन न जो जेई और न ही एसडीओ आम जनता की परेशानियों को सुन रहा था। दोनों अधिकारी ट्रांसफार्मर बदलने के लिए पैसे की मांग कर रहे थे। परेशान ग्रामीणों ने बिजली विभाग के दो कर्मचारियों को सांकेतिक रूप से दो घंटे के लिए कमरे में बंद कर दिया। अब एसडीओ ने 70 लोगों पर एफआईआर करा दी है।
एफआईआर दर्ज होने के बाद जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर हैं। इस मसले पर स्थानीय जनता का कहना है कि ये लड़ाई आगे तक लड़ी जाएगी और एसडीओ व जेई को बर्कास्त करने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। दरअसल यहां के एसडीओ और जेई राजनीतिक संरक्षण में लाखों रुपये की काली कमाई कर रहे हैं औऱ इसका एक हिस्सा अपने राजनीतिक आका को पहुंचा रहे हैं। स्थानीय जनता ने इसकी लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से की है और विजिलेंस जांच की मांग की है।
ज़िले के जनप्रतिनिधियों का अजब हाल है। बिजली मंत्री एक दिन जन-समस्या सुनते हैं तो उस दिन बिजली आ जाती है वरना गायब ही रहती है। सदर विधायक देश की राजधानी में रहते हैं। उन्हें जनता के दर्द का एहसास नहीं हैं और उनके प्रतिनिधि कभी-कदा धरना प्रदर्शन करके जगाते रहते हैं। ज़िले से एक कद्दावर मंत्री भी है जो अपने आप को मिनी मुख्यमंत्री कहते हैं लेकिन जनता की समस्या से उनका कोई लेना-देना नहीं। हां… अगर कोई लेन-देन का मसला फंस जाए तो अपनी हिस्सेदारी लेने के लिए वह ज़रूर हाज़िर हो जाते हैं।
इस सब के बीच जनता का बुरा हाल है। वह सब्र के इंतहान के दौर से गुज़र रही है। अगर वक्त रहते आलाधिकारी नहीं चेते तो जनता का गुस्सा कभी भी फूट सकता है।