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17 Oct 2024, Thu

ओबैदुल्ला नासिर की फेसबुक वाल से

रायबरेली के ऊंचाहार के NTPC पॉवर प्लांट में विगत दिनों हुए हादसे में मरने वालों की संख्या को लेकर नित नयी-नयी बातें सामने आ रही है। अब यह लगभग साबित होता जा रहा है कि मरने वालों की संख्या 32 से कहीं अधिक है। सरकार बदनामी तथा मुआवजा न देना पड़े इसकी वजह से सच्चाई छुपा रही है।

पॉवर प्लांट के बायलर की जानकारी रखने वालों का कहना है की एक समय में बायलर पर कम से कम 200 इंजीनियर, तकनीशियन, मजदूर आदि काम कर रहे होते हैं। इसके अलावा पोताई आदि का काम भी चल रहा था जिसमे भी कम से कम सौ लोग लगे रहे होंगे। चूँकि ज़्यादातर काम ठेके पर होता है, इसलिए NTPC को खुद भी नहीं मालूम होगा कि कितने ऐसे मजदूर, कारीगर आदि काम कर रहे थे। काम करने वाले अधिकतर पास पड़ोस के गाँव आदि के ही रहे होंगे।

यह भी कहा जा रहा है कि NTPC प्रबंधन पर प्लांट में जल्द काम शुरू कर देने का भारी दबाव डाला जा रहा था। ताकि अगले साल के आरम्भिक महीनों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी उसका उदघाटन करके अपने नाम एक और सफलता का प्रचार कर सकें। इसी कारण बिना पूरी तैयारी के प्लांट चालू कर दिया गया। इसके कारण इतना बड़ा हादसा हो गया। हो सकता है यह एक सियासी इलज़ाम हो लेकिन NTPC प्लांट में हुए इतने बड़े हादसे के कारणों की उच्च स्तरीय जांच ज़रूरी है। प्लांट सही ढंग से चालू किया गया था या उसमे कोई लापरवाही या जल्दबाज़ी की गयी थी।

आवश्यक है कि मृतकों की सही तादाद जानने के लिए कोई ठोस उपाय किया जाय। क्योंकि ज़िला प्रशासन, राज्य सरकार, NTPC प्रबन्धन सब सच छुपाने में लगे हैं। इसलिए आवश्यक है कि इस सिलसिले में विपक्ष अपनी भूमिका अदा करे। उसका एक दल गठित हो जो वहां कैंप करे और गाँव गाँव जा कर पता करे कि वहां का कोई व्यक्ति उस दिन प्लांट में काम पर तो नहीं गया था। और अगर गया था तो वापस आया की नहीं, या उसके बारे में परिजनों को मालूमात है या नहीं। सरकार ने जिस मजिस्ट्रेटी जांच का आदेश दिया है वह eye wash के अलावा और कुछ नहीं है। आज देश में जो समाजी सियासी माहौल है, उसमें अदालती जांच तक विश्वासनीय नही रह गयी है।

(ओबैदुल्ला नासिर वरिष्ठ पत्रकार है और कई संस्थानों में काम कर चुके हैं। अभी लखनऊ में रह रहे हैं।)