रंगून, म्यांमार
कितना है बदनसीब ‘जफर’ दफ्न के लिए
दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में।
ये शेर है मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फर का जिसे उसी के मुल्क में दफन नहीं किया गया। अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा में कैद कर रखा था। बहादुर शाह ज़फर की वहीं मृत्यू हो गई। उन्हें बर्मा के शहर यंगून में दफनाया गया। देश के पीएम नरेंद्र मोदी चीन के दौरे के बाद अब म्यांमार के दौरे पर हैं। अपने दौरे के आखिरी दिन पीएम मोदी ने यंगून शहर में मौजूद मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फर की मज़ार पर गए। मोदी ने बहादुर शाह ज़फर की मज़ार पर चादर चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने यंगून में ही मौजूद कालीबारी मंदिर के दर्शन भी किए। वो बौद्ध धर्म के सबसे प्राचीन स्तूपों में एक श्वेदागोन पगोडा में दर्शन करने पहुंचे। पीएम मोदी ने वहां प्रार्थना भी की। पीएम काफी देर तक यहां रुके।
मालूम हो कि साल 2012 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने साउथ-ईस्ट एशियाई देश का दौरा किया था। इस दौरे में मनमोहन सिंह भी बहादुर शाह ज़फर की मज़ार पर गए थे। बहादुर शाह की कब्र को भारत लाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। बहादुर शाह की मौत साल 1862 में 89 साल की उम्र में हुई थी। उन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में ही दफना दिया। ज़फर ने 1857 की क्रांति के बाद अपने आखिरी साल म्यांमार में ही निर्वासन में गुजारे थे।