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23 Dec 2024, Mon

भिवंडी महानगर पालिका में AIMIM की हार वजह ?

भिवंडी, महाराष्ट्र

तेलंगाना के बाहर एमईआएम को पहले किसी राज्य में सफलता मिली थी तो वो महाराष्ट्र था जहां एमआईएम के दो विधायकों को जीत मिली थी। सके बाद पार्टी का विस्तार दूसरे राज्यों में बड़ी तेजी से होने लगा। राजनीतिक पंडित भी इस जीत के बाद कई तरह के कयास लगा रहे थे। इसी बीच की चुनाव में हुए। इनमें भिवंडी महानगर पालिका का चुनाव पार्टी के लिए सबसे अहम था। दरअस मुस्लिम बहुल्य ज़िले में एमआईएम को अपनी सफलता दिखा रही थी।

ओवैसी का दावा
चुनाव के एलान के साथ ही एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने यहां दो जनसभा की। पहली जनसभा में उन्होंने एलान किया कि चुनाव में पार्टी भिवंडी की 24 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरेगी। जनसभा में सांसद ओवैसी दावा किया था कि 24 लोग ही इंशाल्लाह भिवंडी महानगर पालिका में सब पर भारी रहेंगे। उनके जाने के बाद पार्टी उम्मीदवारों के लिए सेलेक्शन के लिए एक पैनल भी नही बना पायी।

एमआईएम की तैयारी
भिवंडी में एमआईएम ने बड़ी मुश्किल से 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। पार्टी का फोकस सोशल मीडिया पर ज़्यादा था। हकीकत में पार्टी के कार्यकर्ता जनता के बीच नहीं गए और न ही उनकी समस्याओं को लेकर कोई रणनीति बना पाए। इस बीच असदुद्दीन ओवैसी दूसरी बार चुनाव प्रचार के लिए भिवंडी आये। इस बार की जनसभा में भी उन्होंने बड़ी-बड़ी बातें की। दरअसल कोई भी जंग बगैर सिपाही न तो लड़ी जाती है और न ही जीती जाती है। एमआईएम का संगठन ही नहीं था और ना उनके पास कार्यकर्ता। इतना ज़रूर था कि हैदराबाद से 2 से 3 से एमएलए घूम-घूमकर भिवंडी में प्रचार करते रहे।

मुद्दों का अभाव
एमआईएम के पास मुद्दों को लेकर कोई रणनीति नहीं बनी। पार्टी के नेता न तो आम लोगों के लिए कोई घोषणापत्र सामने लाए और न ही उनके मन टटोलने के लिएउनके पास गए। हां… इतना ज़रूर था कि दो चार कार्यकर्ता कौम और मिल्लत के नाम पर वोट मांगते नज़र आ रहे थे। ये कार्यकर्ता भिवंडी के लोगों के सामने यह बता रहे थे कि वही एक मुस्लिम हमदर्द है और अपनी जीत की पक्की बता रहे थे। वहीं दूसरी पार्टियां स्थानीय मुद्दों के साथ मैदान में ताल ठोक रही थी।

एमआईएम को एक भी सीट नहीं मिली
इतने प्रचार-प्रसार के बाद जब रिजल्ट आया तो पार्टी के सभी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी की तरफ से 9 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इन सभी उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हो गई। सबसे ज़्यादा वोट पाने वाले उम्मीदवार को मात्रा 475 वोट मिले थे जबकि उस सीट पर कुल 10 हज़ा 825 वोट पड़े। एमआईएम के 9 उम्मीदवारों के वोट को जोड़ दें तो सिर्फ 2504 मिले।

भिवंडी का रिजल्ट
भिवंडी की जनता ने इस बार कांग्रेस पर पूरा भरोसा जताया। कांग्रेस ने 64 उम्मीदवारों को खड़ा किया जिसमें से 47 जीत कर के आए। एमआईएम जैसा हाल समाजवादी पार्टी का भी रहा। समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रवादी काँग्रेस के साथ गठबंधन किया। इस गठबंधन को भिवंडी की जनता ने पूरी तरह नकार दिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल पाई। समाजवादी पार्टी के 16 नगरसेवकों में से सिर्फ 2 नगर सेवक चुनाव जीत पाए।

अन्त में…
एक बात तो तय है कि बगैर रणनीति और मुद्दों के अभाव में राजनीति नहीं की जा सकती है। सिर्फ मुसलमानों के नाम पर सियासत करने वाली इन पार्टियों को गंभीरता से सोचना पड़ेगा कि किसी एक धर्म के नाम पर राजनीति ज्यादा दिन नहीं चलेगी। इसके साथ ही कुछ ऐसा भरोसा कायम करना पड़ेगा कि लोगों को लगे कि इनमें सबके साथ सबके विकास की बात हो रही है।