मुस्तकीम सिद्दीकी की फेसबुक वाल से
जमशेदपुर, झारखंड
#इंसाफ_इंडिया: झारखंड के ज़मशेदपुर एवं आस पास के इलाके में बच्चा चोरी की झुठी अफवाह पर पिछले एक सप्ताह में 17 हत्याएं हुई हैं। सच में बच्चा चोरी कोई अफवाह नहीं है और ना ही कोई हकीकत… बल्कि यह एक पूर्व नियोजित झुठा प्रचार है। यही कारण है कि इस झुठे प्रचार का हिस्सा ज़िला प्रशासन भी है। इस झुठे कांड में हुई हत्याओं पर एफआईआर तक दर्ज नहीं किया जा रहा है। इस झुठे प्रचार के पीछे एक बड़ा षड़यंत्र है जो आम लोगों के सामने लाना ज़रूरी है। 20 मई 2017 को इंसाफ इंडिया की टीम ज़मशेदपुर और आसपास के क्षेत्रों का दौरा करके वापस हुई है।
इस टीम की पेश है एक रिपोर्ट-
इंसाफ इंडिया की टीम ज़मशेदपुर और आसपास के क्षेत्र के दो दिनों के दौरे के लिये 20 मई 2017 को 11 बजे दिन ज़मशेदपुर पहुंची। उस टीम में मैं, झारखण्ड से रज़ा मुराद खां और पश्चिम बंगाल से एजाज़ अली शामिल थे। हमारी कार जैसे ही काली मंदिर के रास्ते (राँची से ज़मशेदपुर आने का मुख्य रास्ता) मानगो रोड में पहुंची। हम लोगों ने सभी आफिस और दुकानों के बंद शटर, सड़कों पर पसरा सन्नाटा, गलियों से भागते हूए आम लोगों में अफरा तफरी, छतों से छुप कर बाहर की ओर टकटकी लगाये लोगों को देखते हुए एहसास कर लिया था कि मामला कुछ गंभीर है।
इसलिये हमने सबसे पहले आज़ादनगर (मानगो) में रहने वाले रहमान साहेब (जो ह्ल्दीपोखर के हैं) से बात की और उनसे हालात जानने की कोशिश की। गंभीर हालत को देखते हुए उन्होने हमें वापस होने की सलाह दी। लेकिन हमारे अनुरोध पर दो मिनट के लिये मांगो रोड के एक पेट्रोल पंप के पास आकर मिले और बताया के कई ज़गह पुलिस और पब्लिक में झड़प हो चुकी है। कई ज़गह कर्फ्यू लगे हुए हैं। कई ज़गहों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गये हैं, तो कुछ ज़गहों पर लाठी चार्ज भी। प्रोटेस्ट स्थगित कर दिया गया है और मुझे वापस होने का सलाह देकर चले गये। हमने ह्ल्दीपोखर जाने की इच्छा जताई तो उन्होने वहाँ भी गंभीर हालत होने की बात कही और सुरक्षित होकर शांत होने पर जाने की बात की। पेट्रोल पंप भी बंद था ज़िस कारण हम किसी ओर से पूछ भी नही पा रहे थे।
पुलिस बल ने हमला किया
हमने ज़मशेदपुर के अपने एक मित्र Sona Faridi से बात की तो उन्होंने रास्ता बदल कर साकची के आमबगान मस्जिद के पास बुलाया। हम जैसे ही गाँधी मैंदान (मानगो रोड ) के पास पहुंचे के वहाँ भारी संख्या में तैनात पुलिस बल के कुछ जवानों ने हमारे कार पर हमला किया। हमारा कार ड्राइवर ऐसे हालत को देखकर संतुलन खो चुका था और कार दुर्घटनागरस्त होते होते बची। हम किसी तरह वहाँ से निकल कर दुसरे रास्ते से साकची पहुंचे। हालात वहाँ भी लगभग खराब थे। वहाँ भी हमारे दोस्तों ने वापस होने की सलाह दी। हर ज़गह एक समान हालत थे।
मृतक के परिवार से मिलने निकले
साकची से हम ह्ल्दीपोखर के लोगों से बात करके ह्ल्दीपोखर के लिये रवाना हुए। जुगसलाई से आगे ह्ल्दीपोखर के रास्ते में ज़मशेदपुर से हमारे फेसबुक मित्र कफील भाई ह्ल्दीपोखर के लिये साथ चलने के लिये तैयार हो गये। हम लोग लगभग 12:30 बजे ह्ल्दीपोखर पहुंच चुके थे। ह्ल्दीपोखर में भी कर्फ्यू जैसा माहौल था। हम जैसे ही ह्ल्दीपोखर पहुंचे वहाँ पहले से तैनात पुलिस की एक गाड़ी हमारे साथ साथ मृतक के घर तक गई और जब हमलोग गाँव वालों से बात करने लगे तो पुलिस बल वापस हो गई। हमें ऐसा महसूस हुआ कि हमारे आने की सूचना पुलिस को पहले से थी।
हत्या की असल वजह
हम ह्ल्दीपोखर पीड़ित परिवार से जब मिले तो इस क्रूर हत्या का असल कारण समझ में आया। ज़िसे हम भीड़तंत्र द्वारा कानून को हाथ में लेकर लोकतंत्र पर खतरा बता रहे थे वह दरअसल फांसीवादी शक्तियों द्वारा भीड़तंत्र के सहारे लोकतंत्र पर हमला करवाने की एक नया षड़यंत्र है। इसका पुरा खाका संघ ने बच्चा चोरी के नाम पर मुसलमानों और दलितों की हत्या आदिवासियों के द्वारा करवाने में सफल हो रही है। जी वही आदिवासी समुदाय जो सदियों से एक साथ एक जगह मिलजुल कर रह रहा है।
इस हत्या में कुछ खास बातें हैं-
- मुसलमानों पर बच्चा चोरी के नाम पर दलित और आदिवासी मिलकर हत्या करते है।
- दलितों पर बच्चा चोरी के नाम पर सिर्फ आदिवासी हत्या करते हैं।
- बच्चा चोरी के नाम पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार दिया जाता है यानी ज़िन्दा नही छोड़ा जाता है।
- बच्चा चोरी के नाम पर हत्या के सामने पुलिस मौजूद रहती है, और कहती है कि पुलिस पर भी हमला हुआ है।
- दलितों की हत्या से पहले पह्चान पत्र देख कर पुष्टि की जाती है कि दलित है या नहीं। पहचान पत्र घर से मंगवाने में ज़ितना भी समय लगे इंतज़ार किया जाता है। जैसे अभी तीनों दलित की हत्या में भी यही हुआ।
- बच्चा चोरी की घटना सिर्फ आदिवासी बहुल क्षेत्र में चर्चा में है।
- एक भी बच्चा चोरी की एफआईआर किसी भी थाने में दर्ज नही हैं।
- एक भी बच्चा चोरी की सच्ची घटना नहीं हुई है।
- नईम और उसके साथियों की हत्या का कारण पशु व्यापारी होना है। इसे आदिवासियों के बीच झारखंड में बीफ प्रतिबंध के बाद गाय तस्कर के रूप में प्रचार किया जाता रहा है।
- एक ही गाँव के चार मुस्लिमों की एक ही दिन हत्या चार अलग अलग गांवों में किया जाना एक फांसीवादी प्रचार का षड़यंत्र है।
- आदिवासियों के सहारे फांसीवादी शक्तियों द्वारा उस क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम और दलित आदिवासी दंगा करवाने के लिये षड़यंत्र रच रही है। जो आने वाले समय में एक खतरे की घंटी है।
वापसी…
जमशेदपुर से वापसी के समय हम तीनों दलित परिवारों से मिलने का प्रयास करते हुए उस घर पर गये। वहां अंतिम संस्कार की व्यवस्तता के कारण पूरा परिवार घाट पर था। बच्चा चोरी के नाम पर दलित हत्या पर पूरी रिपोर्ट जल्द ही पेश करूँगा। वापसी के समय जमशेदपुर शहर के हालात बहुत बिगड़ चुके थे। खाने का होटल दिल्ली दरबार से लेकर छोटा ढ़ाबा तक बंद था। रहने और खाने का इंतज़ाम नहीं होना और शहर के बिगड़ते हालात, लोकल साथियों का वापसी के लिये दबाव शाम 5 बजे के लगभग हमें ज़मशेदपुर छोड़ने पर मजबूर किया।
जल्द ही एक दौरा और करूँगा…
Mustaqim Siddiqui
राष्ट्रीय संयोजक
इंसाफ इंडिया