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20 Oct 2024, Sun

दुनिया में मिसाल है भारत की एकता: मौलाना खालिद रशीद

अब्दुल अज़ीज़

बहराइच, यूपी
भारत-नेपाल सीमा पर मौजूद भारतीय क्षेत्र रुपइडिहा कस्बे में मौलाना मोहम्मद फारूक कासमी द्वारा संचालित मदरसा दारुल उलूम अनवारिया के ज़ेर-ए-एहतिमाम एक जल्सा “ख़त्म-ए- नबूवत व हिन्दू मुस्लिम भाईचारा कॉन्फ्रेंस” मुनक्कीद किया गया। इसमें सैकड़ो की तादाद में हिन्दू और मुस्लिमों ने हिस्सा लेकर कौमी यकजहती की मिशाल पेश की। इस मौके पर ख़ुशूसी दुआ के साथ प्रोग्राम की शुरूआत करते हुए हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली को दारुल उलूम अनवारिया की ओर से शान्ति कमेटी के अध्यक्ष कमल मदेशिया, सचिव आचार्य दयाशंकर शुक्ल, भाईचारा के प्रतीक डॉ सनत कुमार ने फूलों का हार व दुशाला पहनाकर व प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। कस्बे में भाईचारा और सामाजिक समता स्थापित करने के लिए कमल मदेशिया, डॉ0 सनत कुमार शर्मा, आचार्य दयाशंकर शुक्ल, मनीराम शर्मा, संजय कुमार वर्मा, गज्जू सोनी, चेयरमैन नानपारा नगर पालिका अब्दुल वहीद, हाजी अब्दुल रहीम समेत कई लोगों को सम्मानित किया गया। शान्ति कमेटी की तरफ से मौलाना फारुक को फूलों की माला व दुशाला पहनाकर तथा चिन्ह और प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित किया।

मुख्य अतिथि मौलाना खालिद रसीद फिरंगी महली ने कहा कि मुल्क हिंदुस्तान के कस्बा रुपईडीहा में मुझे जो हिन्दू मुस्लिम एकता देखने को मिली इससे मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है। उन्होंने लोगो का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को अखबारात व मीडिया को पूरे मुल्क में आम करना चाहिए। इससे आपसी नफरत ख़त्म होगी और मुल्क व मिल्लत की तरक्की के रास्ते हमवार होंगे। इससे दुनिया में हिन्दोस्तान की हिन्दू मुस्लिम एकता की जो मिसाल दी जाती थी उसे हम फिर से कायम कर सकेंगे।

मौलाना रशीद फिरंगी महली ने आगे कहा कि हमें ऐसे लोगो से बचकर रहना है जो हमें गलत दिशा देकर हमारे देश और समाज को तोड़ने पर आमादा हैं। तीन तलाक के मसले पर मौलाना फिरंगी महली ने कहा कि इस्लाम की तालीम को कुछ गुमराह लोग बदनाम कर रहे है। इस्लाम धर्म ने औरत और मर्द को बराबर का दर्जा दिया है। उन्होंने मजीद कहा कि गुमराह व्यक्ति को इस्लाम से जोड़ना गलत है। पैगम्बर-ए-इस्लाम ने कभी हिंसा का जवाब अहिंसा से देने को बताया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म ही ऐसा धर्म है जिसमें में बेटी को जहेज़ न देकर पुस्तैनी जमीन और दौलत में हिस्सा देने का फरमान जारी किया गया है।

कार्यक्रम में कई आलिमों ने विश्व के धर्मो के पवित्र ग्रन्थ कुरान व वेद से आयत व श्लोक पढ़कर उसका अर्थ समझाते हुए कहा कि किसी भी धर्म में यह नहीं मिलता कि दूसरे धर्म के मानने वाले की मदद न करे। सभी धर्म मानव की सेवा करने का संदेश देते है। शर्मा ने कहा कि इस छोटे से कस्बे में भाईचारे का जो पेड़ मौलाना फारूक ने लगाया है वो आने वाले वक्त में वह एक विशाल फलदार दरख्त की शक्ल अख्तियार करेगा। शुक्ल ने मौलाना खालिद रशीद की तरफ इशारा करते हुये कहा कि अपने बड़ों की बात सुनकर और उसपर अमल  करने में ही हम सब का फ़ायदा है।

इस अवसर पर मौलाना महफुजुर रहमान, सिराज अहमद मदनी, सलीम बाबागंज, मुजम्मिल कासमी, मुफ़्ती अब्दुल्लाह, किफतुल्लाह, हाफिज शमीम अहमद, अहमद हुसैन, एजाज समेत कई लोगों ने अपने ख्यालात का इज़हार किया। प्रोग्राम को सफल बनाने में मशहूर अहमद उर्फ़ चुन्ना भाई, मोहम्मद आसिफ, डॉ हबीबुल्ला, अकबर अली, शकील राई, मुहम्मद अहमद, मुदस्सिर, रसीद अहमद समेत कई लोगों का सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन मौलाना मुहम्मद फारूक कासमी ने किया।