नई दिल्ली
मुल्क में लोकतंत्र एक परीक्षा के दौर से गुज़र रहा है, एक तरफ चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं वहीं दूसरी तरफ चुनाव आयोग की क्षमता भी सवालों के घेरे में है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, सामुदायिक नफरत और एक्सक्लूसिव राजनीति नए आयाम में प्रवेश कर चुकी है। उत्तर प्रदेश में एक नया मोड़ सामने आया है जब मठ और सरकार का मुखिया एक ही व्यक्ति हो गया है और भगवा चोले में सीएम के सरकारी आवास को मंदिर में बदल दिया गया है। राजनैतिक और धार्मिक मुद्दे ही नहीं, राजनीतिक नेता व धार्मिक पेशवाओं का विलय हो गया है।
ये बातें SDPI ने अपने कार्यालय में मीडिया से कहीं। देश में लोकतांत्रिक जागरूकता बनाए रखने के लिये भय की चिंताओं से बचाने और धर्मनिरपेक्ष वातावरण को जीवित करने के उद्देश्य से एसडीपीआई 8 अप्रैल से 29 अप्रैल तक ‘‘आतंक की राजनीति के खिलाफ एकजुट हो‘‘ की राष्ट्रव्यापी स्तर पर अभियान चलाने जा रही है। इसकी शुरुआत 8 अप्रैल को मैसूर में एक जनसभा से होगी। इसके तहत 29 अप्रैल को ‘‘दिल्ली चलो‘‘ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान पूरे देश में जन जागरूकता के लिए अधिवेशन, नुक्कड़ सभाएं, सेमिनार, नाटक आदि कार्यक्रम किए जाएंगे। एसडीपीआई की इस मुहिम में देश भर के विभिन्न संगठनों और महान गणमान्य हस्तियां भी भाग लेंगी।
एसडीपीआई के नेताओं ने बताया कि चुनाव प्रचार में नफ़रत फैलाने वालों को अब हीरो के रूप में पेश किया गया है। बिना जांच किए हुए कई बूचड़खानो पर सरकारी ताले लगाकर बंद कर दिया गया है। आम और गरीब नागरिकों को तानाशाही के अन्दाज़ में भोजन और रोज़गार से वंचित करके डराया और लाचार कर दिया है। वहीं मशीनी बूचड़खानों (मैकेनिकल स्लाटर हाउस) को बिना रोक-टोक रोज़ाना हज़ारों जानवर काट कर मांस निर्यात करने की सरकारी सुविधाएं देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
इसी तरङ भोपाल और वर्तमान लखनऊ एनकाउन्टर से उजागर संदिग्ध और अपारदर्शिता ने आम जनता को हिलाकर रख दिया है। प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए अपराध स्वीकार कर लेने वाले अपराधियों को भी अदालत से बरी करवाया जा रहा है। जांच एजेंसियों से रिपोर्ट बदलवा कर न्यायिक कार्यवाही का रुख मोड़ा जा रहा है। दूसरी तरफ बेकसूरों को झूठे मुकदमें लगाकर गंभीर आरोपों में लंबे समय तक जेलों में रखना आम बात हो गई है। अदालतों द्वारा न्याय मिलने के बावजूद भी पूरा न्याय नहीं मिल रहा जबकि भाजपा से संबंधित लोगों का आईएसआई नेटवर्क पकड़े जाने के बावजूद राष्ट्रविरोधी के आरोप न लगा कर उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है दूसरी तरफ सांप्रदायिक और क्षेत्रीय आधार पर ‘यूएपीए और अफ्स्पा‘ जैसे काले कानूनों को लागू करके बेजा सताया जा रहा है।
चुनावी प्रक्रिया में बेलेट पेपर फिर चालू करने की मांग राष्ट्रीय मुद्दा बन रहा है और एलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में पारदर्शीता और ईमानदार को लेकर देश दुविधा में है और अविश्वास बढ़ रहा है। मुसलमान, दलित और अन्य अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है और इसे बढ़ाने में भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी नेता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं असहमति की स्वतंत्रता को पूरी तरह से कुचला जा रहा है और एक विशिष्ट संविधान पूरे देश पर थोपने की कोशिश हो रही है जहां समानता के सिद्धांत पर देश को चलाने का अभियान चलाकर जनता को गुमराह किया जा रहा है।
ऐसा लगता है कि देश और प्रांत में चुनौती भरा माहौल पैदा हो गया है जहां अल्पसंख्यक, दलित और कमजोर वर्गों के लोग निशाने पर हैं। उत्तर प्रदेश में पिछले सप्ताह हुई गतिविधियों से साफ हो जाता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही सांप्रदायिक अपराधियों के हौसले बहुत बुलंद हो गए हैं और उनमें कानून का डर पूरी तरह से समाप्त हो गया है जिस तरह की घटनाएं बरेली, गोरखपुर, बुलंदशहर और सिद्धार्थ नगर आदि में हुई हैं इससे राज्य में असंतोष, अशांति और भय की लहर पैदा हो रही है ऐसी ही घटनाएं देश के अन्य भागों में भी सामने आ रही हैं।
एसडीपीआई देश में संसदीय लोकतंत्र, संघीय संरचना, सामुदायिक एकता और असहमति की स्वतंत्रता और सद्भाव व भाईचारे को बनाए रखने के लिए हर तरह का बलिदान देने को तैयार है और इसके लिए एसडीपीआई अपने कार्यकर्ताओं को आगाह रहने और क़ानून के राज को मजबूत बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध करती है।
संवाददाता सम्मेलन में एसडीपीआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट शरफुद्दीन अहमद, महासचिव मोहम्मद शफी, नेशनाल क्वार्डीनेटर डा निजामुद्दीन खान और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एडवोकेट साजिद सिद्दीकी ने संबोधित किया।