लखनऊ, यूपी
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने लखनऊ पुलिस मुठभेड़ पर सवाल खड़ा कर दिया है। राजीव यादव ने मध्यप्रदेश के शाजापूर के जबड़ी स्टेशन पर ट्रेन में हुए विस्फोट को आंतकी घटना बताने की जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं। रिहाई मंच ने इस घटना से कथित तौर पर जुड़े आतंकी की लखनऊ में एनकाउंटर में हत्या पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब मूल घटना ही संदिग्ध है तो उसे अंजाम देने के नाम पर किसी की हत्या कैसे सही हो सकती है।
मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि भोपाल-उज्जैन पैसेंजर में हुए विस्फोट के घायलों ने कैमरे के सामने बताया है कि विस्फोट ट्रेन की लाईट में हुआ। वहीं जीआरपी एसपी कृष्णा वेणी ने भी अपने शुरूआती बयानों में विस्फोट की वजह शार्ट सर्किट बताया और यह भी स्पष्ट किया कि घटना स्थल से किसी भी तरह की विस्फोटक सामग्री या उसके अवशेष नहीं मिले हैं।
इन तथ्यों के जिस तरह मध्य प्रदेश के गृहराज्य मंत्री भूपेंद्र सिंह द्वारा बिना किसी ठोस आधार के आतंकी हमला कहते ही पुलिस और मीडिया का एक हिस्सा इसे आतंकी विस्फोट बताते हुए सूत्रों के नाम पर अपुष्ट खबरें चलाने लगा जिसमें कभी दावा किया गया कि विस्फोट सूटकेस में हुआ था तो कभी कहा गया कि इसे मोबाइल बम से अंजाम दिया गया, वो पूरे मामले को संदिग्ध बना देता है। उन्होंने कहा कि ये जल्दबाज़ी साबित करती है कि इसकी आड़ में विस्फोट के तकनीकी कारणों को दबाकर इसे जबरन आतंकी घटना के बतौर प्रचारित कर उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में मुस्लिम विरोधी माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है।
लखनऊ के ठाकुरगंज में मुठभेड़ में मारे गए संदिग्ध सैफुल्लाह की हत्या पर सवाल उठाते हुए राजीव यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस और एटीएस ने इसे वास्तविक दिखाने के लिए इसे पहली लाईव मुठभेड़ बनाने की कोशिश तो की लेकिन वो कुछ सवालों पर जवाब नहीं दे पा रही है जो इसे संदिग्ध साबित करते हैं। मसलन, पुलिस मारे गए कथित संदिग्ध का नाम सैफुल्लाह बता रही है और यहां तक दावा कर रही है कि उसने उसके चाचा से बात कराकर उसे सरेंडर करने के लिए भी मनाने की कोशिश की। लेकिन पुलिस यह नहीं बता पा रही है कि उसे कथित आतंकी का नाम कैसे पता चला?
इसी तरह इस सवाल का भी कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है कि पुलिस को कथित आतंकी के चाचा का नाम और नम्बर कहां से मिला या किसने दिया? क्योंकि यह तो नहीं माना जा सकता कि पुलिस से मुठभेड़ करने वाले कथित आतंकी ने खुद मुठभेड़ के बीच में ही पुलिस को अपने चाचा का नाम बताया हो और उनका फोन नम्बर दिया हो। राजीव यादव ने कहा कि कुछ चैनलों ने माहौल बनाने के लिए इसे लाइव कवरेज किया और आईएस का नाम लिया।