लखनऊ, यूपी
चुनाव आते ही बीजेपी नये मुद्दे तालशने लगती है। इस बार यूपी के चुनाव के लिए बीजेपी मुसलमानों का सबसे बड़ा मुद्दा कोज निकाला है। बीजेपी ने जारी अपने मेनिफेस्टो में तीन तलाक को शामिल किया है। बीजेपी का मानना है कि ये मुसलमानों की बड़ी समस्या है और वह मुस्लिम महिलाओं से बात करके इसका हल निकालेगी।
राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बीजेपी में बड़े ताम-झाम के साथ अपना मेनिफेस्टो जारी किया। इसे लोक कल्याण संकल्प पत्र- 2017 का नाम दिया गया है। इसे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रिलीज किया। बीजेपी ने इस संकल्प पत्र में अखिलेश सरकार की ज़्यादातर योजनाओं का अपडेट वर्जन लाने की बात कही है।
मुस्लिम मुद्दा बनाम विवाद
बीजेपी ने एक सोची समझी रणनीति के तहत तीन तलाक को अपने मेनिफेस्टों में जगह दी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि ये बड़ी समस्या है और उनकी सरकार बनते ही वह मुस्लिम महिलाओं से बात करके इसका हल निकालेंगे। अमित शाह ने इसका कोई डेटा पेश नहीं है। वैसे सरकारी आंकड़ों की बात करें तो मुसलमानों में तलाक का मामला बहुत ही कम है। ऐसे में बीजेपी तीन तलाक को मुद्दा बनाकर कहीं न कहीं चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति करना चाह रही है।
राम मंदिर का अलाप
बीजेपी ने फिर एक बार राम मंदिर का राग अलापा है। अमित शाह ने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने ये नहीं बताया कि कोर्ट का फैसला नके हक में कैसे आएगा। बीजेपी इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहती। अब सवाल ये है कि संवैधानिक तरीके से मंदिर निर्माण का विरोध कौन कर रहा है।
सलाटर हाउस बंद करेंगे
बीजेपी ने यूपी में सभी सलाटर हाउस बंद करने की बात कही है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सलाटर हाउस को मिलेन वाली सब्सिडी भी बंद की जा रही है। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि वह पिंक रिवूलूशन पर ज़ोर दे रहे हैं। अगर आंकड़ों की बात की जाए तो भारत से निर्यात होने वाले बीफ मीट में पिछले दो साल में बढ़ोतरी हुई है। अब बीजेपी इसे कैसे खत्म करेगी ये बड़ा सवाल है।
दिल्ली से आए पत्रकार
बीजेपी ने पत्रकारों के लिए ज़ोरदार मैनेजमेंट किया था। मेनिफेस्टो रिलीज में दिल्ली के पत्रकारों का जमावड़ा लगा रहा। यूपी की राजनीति को एसी रूम से देखने वाले ये पत्रकार ही सवाल पूछते नज़र आए। प्रोग्राम करीब डेढ़ घंटे चला और टीवी चैनलों पर लगातार लाइव होता रहा। यूपी में काम कर रहे पत्रकारों को सवाल पूछने का मौका कम मिला।