लखनऊ, यूपी
यूपी में डेंगू का कहर पूरे शबाब पर हैं। प्रदेश का शायद कोई ज़िला इसकी चपेट से बचा नहीं है। राजधानी लखनऊ का तो सबसे बूरा हाल है। वीवीआईपी कालोनी से लेकर झोपड़ पट्टी तक… शायद ही कोई घर बचा हो जिसके यहां किसी को डेंगू ना हुआ हो। सरकारी अस्पताल की बात छोड़िए राजधानी में किसी प्राइवेट अस्पताल में भी एक भी बेड खाली नहीं हैं। ब्लड बैंक के बारें सैकड़ों लोगों की लाइन देखी जा सकती है।
प्रदेश सरकार की कार्रवाई ?
प्रदेश सरकार की बात करें तो वह दावा कर रही है कि वह डेंगू को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं और ज़रूरत के मुताबिक कार्रवाई कर रही है। सराकर का दावा है कि प्रदेश के हर ज़िलें में डेंगू के मरीजों का इलाज हो रहा है। अब नज़र मोड़िए… प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ एस पी यादव के बेटे को गोंडा ज़िले में डेंगू होता है तो उसे गोंडा से लखनऊ लाया जाता है।
अब सवाल उठना लाज़मी है कि जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के बेटे को ज़िले में इलाज मुहैया नहीं हो पाया तो आम जनता का क्या हाल होगा… इस बात को बड़ी आसानी से समझा जा सकता है। लकनऊ के किसी भी सरकारी अस्पताल में बेड खाली नहीं है। भर्ती के लिए किसी भी सरकारी अस्पताल में जाइए… मरीज़ों को न सुनना पड़ रहा है। इलाज में भी कोताही की शिकायतें लगातार आ रही हैं।
स्वास्थ्य मंत्री का दावा
प्रदेश के नये स्वास्थ्य मंत्री शिवकांत ओझा एक लंबी प्रेस रिलीज जारी करके स्वास्थ्य सेवाओं को हर तरह से तैयार रहने का दावा किया है। पर हकीकत में प्रदेश में डेंगू मरीज़ों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल चरमरा गई हैं। डेंगू के इलाज के लिए सरकार ने अब तक कोई गाइडलाइन तक नहीं तय की है। दूसरी तरफ ब्लड बैंकों में ब्लड कमी को दूर करने के लिए अब तक आम लोगों से न तो कोई अपील जारी हुई है और न ही कोई प्लानिंग हो रही है। स्वास्थ्य महकमें के अधिकारी हर सवाल पर अपना मुंह बंद किए हुए हैं।
क्या कहना है डॉक्टरों का
लखनऊ में एक प्राइवेट अस्पताल चला रहे डॉ आमिर जमाल का कहना है कि सरकार को तुरंत एहतियाती कदम उठाना चाहिए वरना डेंगू से हालात काबू से बाहर हो जाएंगे। लखनऊ के एरा मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डॉ डी के सिंह का कहना है कि हालात काफी खराब है। लखनऊ में पहली बार ऐसा डेंगू फैला है। इससे गरीब लोग ज़्यादा बीमार हो रहे हैं। सरकार को फौरन प्रभावी कदम उठाना चाहिए।
सीएम अखिलेश यादव का हाल
चलिए अब यूपी की सरकार के मुखिया की बात करते हैं… सीएम अखिलेश यादव ने आज ही 600 करोड़ रूपये की लागत से बने अपने ऑफिस का उद्घाटन किया। अपनी सरकार की उपलब्धियां खूब बखान की। इसके पहले सीएम अपने परिवारिक झगड़ें में उलझे हुए थे। पत्रकारों ने दर्जनों राजनीतिक सवाल किए पर डेंगू का सवाल किसी के मुंह से नहीं निकला। प्रदेश के मुखिया अखिलेश यादव को शायद डेंगू की बदतर हालात के बारे में जानकारी नहीं हैं। अब देखना ये हैं कि सीएम अखिलेश कब डेंगू बीमारी से पैदा हुए बदतर हालात पर ठोस रणनीति बनाते हैं, जिससे इस बीमारी पर काबू पाया जा सके।