इलाहाबाद, यूपी
उत्तर प्रदेश के नोएडा के दादरी इलाके के बिसाहड़ा गांव में गोमांस के शक में मौत के घाट उतारे गए अखलाक के परिवार के ज़्यादातर सदस्यों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने अखलाक की बुजुर्ग मां-पत्नी और बेटी समेत पांच लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। दूसरी तरफ हाई कोर्ट ने अखलाक के भाई जान मोहम्मद को राहत देने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अखलाक के परिवार वालों को यह राहत घटना के वक्त बरामद मांस की दो अलग-अलग रिपोर्ट आने के आधार पर दी है।
दरअसल गौतमबुद्ध नगर की एक कोर्ट के आदेश पर अखलाक के परिवार के आधा दर्जन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। ये केस बीते 15 जुलाई को गोवध समेत कई गंभीर आरोपों में दर्ज किया गया था। अखलाक के परिवार की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि मांस की दो अलग-अलग रिपोर्ट आई है, वहीं बरामद मांस की मात्रा बढ़ा दी गई है। जबकि परीक्षण के लिए उसे जार के बजाय पॉलीबैग में भेजा गया है। यही नहीं इसमें केस दर्ज होने में देरी भी की गई है। ये सभी मुद्दे कोर्ट के समाने रखे गए थे और इसी आधार पर राहत की अपील की गई थी।
हाई कोर्ट में जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस प्रभात चंद्र त्रिपाठी की डिवीजन बेंच ने अखलाक के परिवार की तरफ से पेश की गई दलीलों को सही मानते हुए मां असगरी बेगम, पत्नी इकरामन, घटना में जख्मी हुए बेटे दानिश, बेटी शाइस्ता और रिश्तेदार सोनी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है, जबकि अखलाक के भाई जान मोहम्मद को फिलहाल कोई राहत देने से मना कर दिया है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि घटना के दस महीने बाद एफआईआर होने की देरी की वजह से परिवार की महिलाओं को राहत दी जा रही है। बेटे दानिश को राहत उसके गंभीर रूप से जख्मी होने की वजह से मिली, जबकि भाई जान मोहम्मद के बारे में अदालत ने कहा कि उसके ही घर में गोहत्या का आरोप है, इसलिए फिलहाल उसे कोई राहत नहीं दी जा सकती।
मालूम हो कि पिछले साल 29 सितंबर को दादरी के बिसहड़ा गांव में गोमांस के नाम पर अखलाक की हत्या कर दी गई थी। गौतमबुद्ध नगर के वेटनरी हॉस्पिटल ने अखलाक के घर से बरामद मांस को बकरे का बताया था, जबकि मथुरा की फॉरेंसिक लैब ने उसे गोमांस करार दिया था। इसी लैब रिपोर्ट के आधार पर अखलाक के परिवार के खिलाफ पिछले महीने केस दर्ज किया गया था।