लखनऊ, यूपी
ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड शरई कानूनों की हिफाज़त के लिए हर मुमकिन कानूनी लड़ाई लड़ेगा। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी से मुस्लिम पसर्नल लॉ पर पहले की सरकारों के रुख को ही बहाल रखने की मांग की जाएगी। देश में मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस्लामी शरीयत की हर हाल में हिफाज़त करेगा। शरई कानून के खिलाफ अदालतों में लंबित याचिका पर बोर्ड के सदस्यों ने खासी फिक्र जतायी और तय किया कि पूरी ताकत से कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी।
लखनऊ के दारूल उलूम नदवतुल उलेमा में हुई। इससे में बोर्ड के सदर मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी, उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, शकील शमदानी, बेगम इक्तेदार, डॉ असमां ज़ोहरा, मौलाना वली रहमानी, फज़ले रहीम समेत सभी सदस्य मौजूद भी।
एमआईएम के सदर और सांसद असदुद्दीन ओवैसी खासतौर पर मीटिंग में बाद लेने लखनऊ आए थे। जबकि उनका मुंबई में पहले से एक प्रोग्राम तय थे। वह दोपहर बाद मुंबई रवाना हो गए।
बोर्ड की बैठक में तय किया गया कि शरई कानूनों में दखल रोकने के लिए पीएम मोदी को एक खत लिखा जाएगा। सुबह से शुरु हुई बैठक काफी लंबी चली। बेठक में हुई चर्चा के बाद मीडिया से बात करते हुए बोर्ड के सदस्य एडवोकेट जफरयाब जीलानी ने कहा कि बैठक में करीब 11 अलग-अलग मुद्दों पर बात हुई। शरई मसलों पर अदालतों के दखल, मुस्लिमों पर बढ़ रहे मुकदमे पर बोर्ड की बैठक में खासी चर्चा हुई औऱ फिक्र जतायी गयी।
जफरयाब जीलानी ने बताया कि बैठक में पहले से चल रहे प्रोग्राम दीन और दस्तूर बचाओ तहरीक अभियान को और तेजी से चलाने का फैसला किया गया। इसके साथ ही केन्द्र सरकार से विशेष तौर पर अपील की जाएगी कि वह पसर्नल लॉ में पूर्व सरकारों की तरह का रवैया ही रखे। सरकार पसर्नल लॉ में किसी भी तरह का हस्तक्षेप न करे।
महिला सदस्य की राय
बोर्ड की सदस्य डॉ असमां जहरा ने इस मौके पर कहा कि बोर्ड मुस्लिम समाज में महिलाओं के अधिकारों के सिलसिले में जागरूकता का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाएं तलाक या दहेज उत्पीड़न के मामलों को अदालतों में ले जाने के बजाय शरिया अदालत दारुल कजा ले जाएं तो इससे शरीयत में बेजा दलखंदाजी से बचा जा सकेगा।
तीन तलाक का मसला
तीन तलाक के मामले पर दायर याचिका के बारे में तय हुआ कि सुप्रीम कोर्ट में पूरी ताकत से पैरवी की जाएगी। बैठक में कहा गया कि ये दीनी मसला हैं और कोर्ट से तीन तलाक को बहाल रखने की मांग की जाएगी। जीलानी से जब पूछा गया कि मुसलमानों के कई मसलक एक साथ तलाक-तलाक-तलाक कहने पर तलाक नहीं मानते तो क्या वह गैर शरई काम करते है तो उन्होंने इस पर सीधा जवाब न देते हुए कहा कि यह उनकी शरीयत का मामला है। कहा कि चार शादी और तीन तलाक पर बोर्ड भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 , 21 और 25 के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में पार्टी बनेगा।
नई ज़िम्मेदारी
ज़फरयाब जीलानी ने बताया कि मौलाना मोहम्मद वली रहमानी को महासचिव बनाया गया है वहीं फजले रहीम को सचिव चुना गया है।
शरई अदालतों की बढ़ेगी संख्या
शरई अदालतें यानी दारुलकज़ा की संख्या में इजाफा किया जाएगा। दारुलकज़ा एक तरह से शरई अदालत है जहां काजी फैसले सुनाता है, लेकिन यहां वहीं मामले सुने जाते हैं, जिनमें दोनों पक्ष मुसलमान हो। ये अदालतें हर साल हज़ारों मसलों को सुलझाती हैं।