कोलकाता, पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में करीब 27 फीसदी मुसलमान हैं। इस राज्य में जहां तक राजनीतिक महत्व की बात है तो कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि मुसलमानों के समर्थन के बिना पश्चिम बंगाल में कोई भी दल सरकार बना नहीं सकता है। लेकिन राजनीतिक तौर पर बेहद अहम होने के बाद भी पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की हालत बेहद खराब है।
हाल ही में पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की मौजूदा स्थिति को लेकर एक सर्वे कराया गया, जिसे नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने सार्वजनिक किया है। इस रिपोर्ट के बारे में स्टेटमेंट जारी कर उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि पश्चिम बंगाल के मुस्लिम गरीब हैं। रिपोर्ट से पता चलता है कि वे कितनी कठिन परिस्थिति में जी रहे हैं। सरकार को इस संबंध में जल्द से जल्द कुछ करना होगा।
सर्वे रिपोर्ट की अहम बातें पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 80 फीसदी मुस्लिम परिवारों की मासिक आमदनी 5000 रुपए है। बंगाल के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 38.3 फीसदी मुस्लिम परिवार ऐसे हैं, जिनकी आमदनी 2500 रुपए प्रति माह है सिर्फ 3.8 फीसदी परिवार ही ऐसे हैं, जो हर महीने 15000 रुपए महीने कमा पाते हैं। 1.54 फीसदी मुस्लिम परिवारों के पास ही सरकारी बैंक खाते हैं। 13.24 फीसदी मुस्लिम वयस्कों के पास वोटर आईडी कार्ड ही नहीं हैं।
पश्चिम बंगाल में औसतन 1 लाख की आबादी पर 10.06 सेंकेंड्री और हायर सेकेंड्री स्कूल हैं। लेकिन दीनापुर, मुर्शिदाबाद, मालदा ऐसे अल्पसंख्यक बहुल ज़िले हैं, जहां पर एक लाख की आबादी पर क्रमश: 6.2, 7.2 और 8.5 प्रतिशत स्कूल हैं। 6 से 14 वर्ष की उम्र के बीच के 14.5 प्रतिशत मुस्लिम बच्चे स्कूल तक जा ही नहीं पाते हैं
ये रिपोर्ट ‘पश्चिम बंगाल में रहने वाले मुस्लिमों की हकीकत’ नाम की इस रिपोर्ट को SNAP, गाइडेंस गिल्ड और प्रतिचि इंस्टीट्यूट की ओर से कराए गए सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है। सर्वे 97,017 मुस्लिम परिवारों के बीच किया गया है। इसमें ने 81 ब्लॉक और 73 वार्ड के 325 गांवों को कवर किया है।