अहमद अज़ीम, वरिष्ठ पत्रकार, आजतक चैनल
नई दिल्ली
अलीगढ़ और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर सरकार और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच एक विवाद की शुरूआत हो चुकी है। चुनाव और राजनीतिक वजहों से ये मामला आने वाले समय में बढ़ सकता है। क्या कहना है इस मामले पर और यूनिवर्सिटी से जुड़े दूसरे विवादों पर जामिया के उपकुलपति प्रोफेसर तलत अहमद का…उनसे किये इंटरव्यू की खास बातें…
मुख्य बातें-
1. जामिया को अल्पसंख्यक दर्जा, संसद के बनाये एक कमीशन ने दिया था। मामला अभी कोर्ट में है इसलिये मेरा बोलना उचित नहीं। कोर्ट का फैसला सर आंखों पर होगा।
2. केंद्र सरकार जामिया के साथ कोई भी पक्षपात नहीं कर रही। दूसरी यूनिवर्सिटीज़ से ज़्यादा फंड मिला जामिया को मिला है। सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं है।
3. ज़्यादा कौशल केंद्र, GIAN प्रोग्राम जामिया यूनिवर्सिटी को मिले हैं।
4. जामिया यूनिवर्सिटी के कुछ असंतुष्ट मुलाज़िम आरटीआई के ज़रिये यूनिवर्सिटी को बदनाम करने में लगे हैं।
5. यूनिवर्सिटी में कार्यों में पारदर्शिता बढ़ रही है। एडमिशन में गड़बड़ियों और फंड के गलत इस्तेमाल के आरोप गलत हैं।
उपकुलपति प्रोफेसर तलत अहमद से अहमद अज़ीम की बातचीत
सवाल- अलीगढ़ और जामिया यूनिवर्सिटी में अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर विवाद शुरू हो गया है। आपका क्या स्टैंड है इस पर ?
प्रो तलत अहमद- देखिये, क्योंकि ये मामला अभी कोर्ट के सामने विचाराधीन है इसलिये उचित नहीं होगा कि मैं इस पर कुछ कहूं। पर हां, पहले भी जामिया को अल्पसंख्यक दर्जा संसद की तरफ़ से बने कमीशन की तरफ़ से दिया गया। कोर्ट में मामला है..जो भी फैसला होगा..सर आंखों पर। जो लोग यहां-वहां मीटिंग कर रहे हैं इस मुद्दे को लेकर वो ये अपने स्तर पर कर रहे हैं।
सवाल- हाल के दिनों में जामिया कई ग़लत वजहों से खबरों में है। मसलन कई आरटीआई के जवाब में पता चला एडिमिशन के बारे, फँड के इस्तेमाल के बारे में ?
प्रो तलत अहमद– मैं जब से यहां आया हूं चीज़ें इन्प्रूव कर रहा हूं। कोशिश कर रहा हूं कि ये पूरे हिंदुस्तान के लिये एक नेशनल यूनिवर्सिटी साबित हो… सिर्फ़ यूपी, बिहार या कश्मीर के लोगों के लिये नहीं। हमने इंजीनियरिंग का टेस्ट जेईई के साथ कराने का फैसला लिया ताकि दूर-दराज़ के बच्चों को भाग के दिल्ली ना आना पड़े। ऐसे कदम उठाने पर जो बेकार एलिमेंट थे उनको दिक्कत हो रही है। उनके वक्त जो गलत फैसले लिये गये उन्हीं को आरटीआई के ज़रिये बताया जा रहा है। आरटीआई का गलत इस्तेमाल हो रहा है। हम हर चीज़ को ट्रांसपैरेंट तरीके से कर रहे हैं।
सवाल- आरोप है कि स्कूल एडमिशन में कई गड़बड़ियां हुईं ?
प्रो तलत अहमद– मेरे सामने फर्स्ट जेनेरेशन का कोई लर्नर आया तो मैने उसका एडमिशन कराया। मान लो 50 का कोई कोटा है और एक या दो और भी कर दिया तो कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया क्या। लोग तो ना जाने क्या-क्या कर के यहां से चले गये।
सवाल- आरोप है कि यूनिवर्सिटी के वीसी ऑफिस के निर्माण में फंड का काफ़ी गलत इस्तेमाल हो रहा है?
प्रो तलत अहमद– कोई गलत इस्तेमाल नहीं हो रहा। ये सिर्फ़ वीसी ऑफिस नहीं होगा, पूरा कॉम्प्लेक्स होगा। इसमें दो बड़े हाल भी होंगे… ऑडिटोरियम वगैरह। कई और भी चीजें होंगी। पुराने सिस्टम को पूरी तरह नया बनाया जा रहा है। बिजली पर इतना खर्च होता था जो अब कम होगा। ईको-फ्रेंडली होगी पूरी बिल़्डिंग।
सवाल- पीएम मोदी जी रिसर्च औऱ वोकेशनल ट्रेनिंग पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं। इस पर क्या चल रहा है इस पर यूनिवर्सिटी में ?
प्रो तलत अहमद– मैं ये प्राउडली कह सकता हूं जामिया यूनिवर्सिटी में GIAN के तहत सबसे ज़्यादा प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं। देश के संस्थानों की इंटरनेश्नल रैंकिंग कम है। इस कार्यक्रम के ज़रिये बाहर के रिसर्चर आयेंगे। ज्ञान साझा होगा। लॉंग टर्म में बहुत फायदा होगा। सबसे ज़्यादा कौशल केंद्र जामिया में खुल रहे हैं और मदन मोहन मालवीय स्कीम के तहत सबसे ज़्यादा सपोर्ट सरकार से मिला है।
सवाल- सरकार से मदद की आपने बात की…क्या जामिया जैसे अल्पसंख्यक संस्थान को लेकर सरकार का रवैय्या बराबरी का है ?
प्रो तलत अहमद– ये मेरा अब तक का तजुर्बा है कि इस सरकार ने कोई भेद-भाव हमारे साथ नहीं किया है। हमें सारी फंडिंग सरकार से मिल रही है। बल्कि दूसरों से ज़्यादा मिल रही है। फर्क ये है कि पहले जामिया यूनिवर्सिटी में तमाम तरह की स्कीमों के लिये एप्लाई नहीं करता था अब करता है। हमारे दो सेंटर को सेंटर फॉर एक्सिलेंस का सर्टिफिकेट दिया सरकार ने। सरकार की नीयत में कोई खोट नहीं। ये फ्रीडम मूमेंट से पहले की यूनिवर्सिटी है । हम चाहते हैं ये मूवमेंट आग चले।