नई दिल्ली
मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आज लोक सभा में ज़ोरदार तरीके से मुसलमानों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमानों के जीवन के अधिकार की हर हाल में हिफ़ाज़त की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का संविधान सभी नागरिकों को समान मौलिक अधिकार देता है। उन्होंने आर्टिकल 21 का हवाला देते हुए कहा कि इस मुल्क में रहने वाले सभी लोगों के जान-माल की ज़िम्मेदारी सरकारों की हैं।
लोक सभा में ‘संविधान के प्रति प्रतिबद्धता’ विषय पर विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सदन में कोई भी इस बात से इनकार नहीं करेगा कि देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ कितनी ही बार जीवन के अधिकार का हनन किया जा चुका है।
संविधान निर्माता डॉ बी आर अंबेडकर के उद्धरणों का हवाला देते हुए ओवैसी ने लोक सभा को याद दिलाने की कोशिश की कि कैसे अल्पसंख्यक समुदायों को मौलिक अधिकारों, विशेषकर जीवन के अधिकार से वंचित किया गया है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नरेंद्र मोदी को देश के सभी समुदायों का प्रधानमंत्री होने की संवैधानिक ज़िम्मेदारी को निभानी चाहिए। कुछ केंद्रीय मंत्रियों और एनडीए नेताओं पर सांप्रदायिक बयान देने का आरोप लगाते हुए ओवैसी ने पूछा कि क्या पीएम मोदी मुसलमानों के पीएम नहीं हैं? सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता क्या है? उन्हें इसे परिभाषित करने दीजिए।