दिल्ली
ईद-उल-अज़हा का त्योहार आज मनाया जाएगा। मुसलामानों के लिए ये दिन बहुत ही ख़ास है। कुर्बानी का प्रतीक इस त्योहार की तैयारियां कई दिनों से की जा रही थी। ईद-उल-अज़हा की ख़ास नमाज़ के लिए ईदगाहों और मस्जिदों में तैयारी पूरी कर ली गई है। बकरीद यानी ईद-उल-अज़हा को धूमधाम से मनाने के लिए शहर से लेकर गांव तक… घरों, बाज़ारों, मजिस्दों औऱ ईदगाहों को ख़ासतौर पर सज़ाया गया है। दूसरी तरफ शासन-प्रशासन की तरफ से भी सुरक्षा और साफ सफाई के व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं, ताकि नमाज़ियों को कोई परेशानी न हो। देश के सभी शहरों में रातभर खूब चहल-पहल देखी गई।
बाज़ारों में खूब रौनक
ईद-उल-अज़हा की तैयारियां करीब-करीब पूरी हो चुकी है। खरीददारी के लिए बाज़ारों में खूब रौनक रही। मुसलमानों ने नए कपड़े से लेकर घर की ज़रूरत के सामान तक खूब खरीदे। इस दिन ख़ासतौर पर सेवईयां और मीठे पकवान बनाए जाते हैं। बच्चों में खास उत्साह देखा गया। देशभर के बाज़ारों में बकरीद की रौनक देखी जा रही है। दिल्ली हो या मुंबई, लखनऊ हो या हैदराबाद हर जगह मुस्लिम बहुल इलाकों में रौनक पसरी है। जहां नए कपड़े और खाने के सामान खरीदे जा रहे हैं।
बकरे की खरीददारी
ईद-उल-अज़हा का ख़ास मकसद कुर्बानी है। मुसलमान कुर्बानी के लिए बकरे की खरीददारी अपने मनपसंद रूप से कर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई में भी इस त्योहार का उत्साह बरकरार है। बाज़ार में कुर्बानी के लिए बेचे जाने वाले बकरों की कीमत 5 हज़ार से शुरु होकर 50 हज़ार तक है। बकरे खरीदने वाले लोग मोलभाव भी खूब कर रहे हैं। लखनऊ के रूमी दरवाज़े के आसपास लगने वाली बकरे की बाज़ार में देर रात तक खूब चहल-पहल रही। यहां से लोगों ने खूब बकरे खरीदे। दूसरे शहरों में भी बकरे की खरीददारी के लिए खूब भीड़ रही।
ईद-उल-अज़हा की नमाज़
देस की ज़्यादातर मस्जिदों में बकरीद की नमाज़ सुबह ही अता की जाती है। लखनऊ में ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज़ 7 बजे से लेकर 9 बज़े तक पढ़ी जाएगी। दिल्ली, मुंबई समेत देश के दूसरे शहरों में बकरीद की नमाज़ इसी वक्त में पढ़ी जाएगी। प्रशासन ने ईदगाहों और मस्जिदों के आसपास सफाई और चूने की छिड़काई का विशेष इंतज़ाम किया है। कई जगहों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल लगाएं गए हैं। शहरों में ईदगाहों के आसपास ट्रैफिक को पूरी तरह से रोका दिया जाएगा ताकि ईदगाह आने वाले नमाज़ियों को कोई दिक्कत न हो। नमाज़ के बाद सभी लोग एक दूसरे को मुबारकबाद देंगे।
क्या है ईद-उल-अज़हा
ईद-उल-अज़हा की नमाज़ के बाद कुर्बानी का दौर शुरु होगा। कुछ ख़ास जगहों के लिए कुर्बानी नमाज़ से पहले भी की जाती है। इस्लाम के जानकार बताते हैं कि हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को अल्लाह का हुक्म हुआ कि वह अपने सबसे ज्यादा अज़ीज़ बेटे हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी दें। अल्लाह के हुक्म की तामील के लिए हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने बेटे को पहाड़ पर ले जाकर कुर्बानी देने लगे। हज़रत इब्राहिम की ये अदा को अल्लाह को पसंद आई। इसी दौरान अल्लाह के हुक्म से फरिस्तों ने बेटे हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम को हटाकर एक दुम्बें को रख दिया और उसकी कुर्बानी हुई। तभी अल्लाह का ये हुक्म हुआ कि साहिबे माल हर साल जानवरों की कुर्बानी देंगे। ईद-उल-अज़हा सुन्नत-ए-इब्राहीम भी है, क्योंकि इस त्योहार का नाम हज़रत इब्राहीम के नाम से जुड़ा है।
पीएनएस टीम की मुबारकबाद
पीएनएस न्यूज़ एजेंसी की टीम मुल्क के सभी लोगों को ईद-उल-अज़हा की मुबारकबाद पेश करती है। पीएनएस लोगों से अपील करती है कि वह ख़ास नमाज़ में मुल्क की सलामती, भाईचारे और तरक्की के लिए ख़ासतौर पर दुआ करें। पीएनएस ये भी अपील करती है की कुर्बानी सड़क या खुली जगहों पर न करें जिससे किसी को तकलीफ हो। कुर्बानी करते हुए किसी फोटो या वीडियो को सोशल मीडिया या व्हाटशप पर बिल्कुल न डालें।