यूपी के मुज़फ्फरनगर में अगस्त, 2013 में हुए दंगे पर जांच के लिए बने आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं। जांच आयोग के अध्यक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय ने राज्यपाल राम नाइक से राजभवन में मुलाकात कर न्यायिक जांच रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट सौंपने के बाद मीडिया से बाद करते हुए जस्टिस सहाय ने जांच रिपोर्ट को बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि जांच में सभी पक्षों को शामिल किया गया है।
जांच आयोग की रिपोर्ट की कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि आयोग की जांच रिपोर्ट में पुलिस प्रशासन के अफसरों और नेताओं को दोषी ठहराते हुए दंगे के लिए ज़िम्मेदार माना है। सूत्रों के मुताबिक जांच आयोग ने सत्ताधारी एसपी और बीजेपी के नेताओं को शहर में दंगा भड़काने का दोषी माना है। सूत्रों का दावा है कि न्यायिक जांच आयोग के मुताबिक, दोनों दलों के नेताओं के कारण ना सिर्फ मुज़फ्फरनगर, बल्कि पश्चिमी यूपी के 5 ज़िलों में हिंसा हुई थी।
मुज़फ्फरनगर में हुए दंगों के बाद राज्य की अखिलोश सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस विष्णु सहाय को दंगों की जांच के लिए आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। 2013 के इन दंगों में 60 से भी ज़्यादा लोग मारे गए थे और करीब 40,000 लोग बेघर हो गए थे। आज़ादी के बाद ये ऐसा दंगा था जिसमें सबसे ज़्यादा लोग बेघर हुए थे। जांच आयोग को 7 बार विस्तार किया गया और इसने अपनी रिपोर्ट पेश करने में 2 साल का वक्त लिया। कमीशन ने 476 लोगों के बयान रिकॉर्ड किए जिसमें 100 अधिकारी भी शामिल थे। जस्टिस सहाय ने दंगों की जांच के सिलसिले में तत्कालीन डीजीपी देवराज नागर, मेरठ के आईजी और डीआईजी और जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ सभी 5 दंगा पीडि़त जिलों के एसपी से भी पूछताछ की। पुलिस ने इस मामले में कई गिरफ्तारियां की जिसमें से कई आरोपी अभी भी सलाखों के पीछे हैं।
जस्टिस सहाय आयोग ने अपनी 775 पेज की रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को लापरवाही और चूक का जिम्मेदार बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लापरवाही के कारण दंगे की स्थिति बनी और हिंसा हुई। दंगा जांच की रिपोर्ट में मुज़फ्फरनगर के तत्कालीन पुलिस और प्रशासनिक अफसरों और कुछ नेताओं को कठघरे में खड़ा किया गया है।
राज्यपाल राम नाइक अब इस जांच रिपोर्ट को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास आगे की कार्रवाई के लिए भेजेंगे। राज्यपाल को रिपोर्ट पेश करते समय आयोग के सचिव दिलीप कुमार, राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर और विधि सलाहकार एसएस उपाध्याय भी उपस्थित थे। बाद में इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया जाएगा और इसके बाद यूपी सरकार के फैसले के आधार इसे सार्वजनिक करने या नहीं करने का फैसला लिया जाएगा।
रिपोर्ट में बीजेपी पर आरोप पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने सफाई दी है। बाजपेयी ने कहा कि अभी किसी ने न तो रिपोर्ट देखी है न ही इसका अध्ययन हुआ है। हम पर आरोप साबित नहीं होगा। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने जांच रिपोर्ट पर बीजेपी और एसपी को आड़े हाथ लिया। दीक्षित ने कहा कि संघ तो पहले से ही लगी है दंगे न होते तो 280 क्या 180 सीटें भी न मिलती। दंगों को लेकर जो रिपोर्ट आई है उससे पहले से ही बीजेपी के लोग ऐसी हरकतें करते रहे हैं। एसपी के पूर्व नेता कमाल फारुखी ने रिपोर्ट को लेकर आ रही खबरों को सही बताया। फारुखी ने कहा कि मैं खुद पंचायत करने से मना किया था। बच्चों और लोगों की मौत के लिए एसपी, बीजेपी ही जिम्मेदार है।