जौनपुर, यूपी
90 के दशक में राजनीति की बिसात को समझकर मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की बुनियाद रखी थी। इस पार्टी की बुनियाद में एमवाई फार्मूला (मुस्लिम-यादव) काफी हिट हुआ। पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव प्रदेश की सत्ता पर चार बार काबिज़ हुए। 2012 के चुनाव में भारी बहुमत से सत्ता हासिल करने वाले मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव की प्रदेश की सीएम बनाया। पांच साल पूरा करते-करते समाजवादी पार्टी में बहुत कुछ बदलाव आया। पार्टी के चाणक्य शिवपाल यादव बाहर हुए तो मुलायम सिंह संरक्षक और अखिलेश यादव पार्टी के अध्यक्ष बन गए।
सपा की बागडौर संभालने के बाद अखिलेश यादव लगातार नये प्रयोग कर रहे हैं। वो पुराने फार्मूले की जगह नया प्रयोग कर रहे हैं। अखिलेश के प्रयोग में एमवाई फार्मूला शायद सपा के इतिहास के पन्नों में दब जाए। इसकी बानगी ये है कि सपा के लिए काफी महत्वपूर्ण ज़िला जौनपुर सपा कार्यकारिणी की नई लिस्ट को लेकर सुर्खियों में है। यहां सपा के ज़िलाध्यक्ष ने नई कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की है। इस कार्यकारिणी में मुसलमानों को बिल्कुल दरकिनार कर दिया गया है। यही वजह है कि अब समाजवादी पार्टी कई दलों के निशाने पर आ गई है। साथ ही साथ सोशल मीडिया पर खूब बहस देखने को मिल रही है।
मुस्लिम पदाधिकारियों एवं सदस्यों की लिस्ट
शकील अहमद उपाध्यक्ष और प्रभारी सदर विधानसभा
हिसामुद्दीन महासचिव, पोटरिया, सदर जौनपुर
अलीमंजर डेजी, सदस्य, सदर विधानसभा
अजमत खान, मीरमस्त, सदर विधानसभा,
शाहनवाज़ खां, सचिव, सिपाह, सदर विधानसभा
इकबाल अहमद, दुधौड़ी, पोस्ट- आरा, केराकत विधानसभा
60 पदाधिकारियों में सिर्फ 6 मुस्लिम चेहरे
सपा ज़िला अध्यक्ष लाल बहादुर यादव द्वारा जारी लिस्ट को गौर से देखे तो कई बातें समझ में आती है। इस लिस्ट में 51 लोग ज़िला कार्यकारिणी में हैं। वहीं 9 विधानसभा अध्यक्षों की भी सूची जारी की गई है। सबसे खास बात ये है कि इसमें सिर्फ 6 मुस्लिमों को जगह दी गई है। इनमें एक उपाध्यक्ष, एक महासचिव एक सचिव और तीन कार्यकारिणी के सदस्य शामिल है।
सदर विधानसभा का पलड़ा भारी
जिन 6 मुस्लिम चेहरों को ज़िला कार्यकारिणी में शामिल किया गया है, उनमें पांच का संबंध जौनपुर की सदर विधानसभा सीट से है। सिर्फ एक चेहरा इकबाल अहमद केराकत विधानसभा से आते हैं। शाहगंज विधानसभा से एक भी मुस्लिम चेहरा शामिल नहीं किया गया जहां मौजूदा सपा का विधायक है और वहां की सीट पर मुस्लिम आबादी की सदर विधानसभा के बराबर है। ऐसे ही 6 अन्य विधानसभा क्षेत्र हैं।
विधानसभा अध्यक्ष में एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं
प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम के हस्ताक्षर से जारी लिस्ट में जिले की 9 विधानसभा अध्यक्ष भी घोषित किए गए हैं। सबसे विवाद की वजह यही लिस्ट है। दरअसल सपा ने पिछले चुनाव में मुस्लिमों को 18 फीसदी आरक्षण देने का वाद किया था। अब विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं कि जब 9 विधानसभा अध्यक्षों की सूची में एक भी नाम आखिर क्यों नहीं है।
आरोपों के घेरे में सपा ज़िलाध्यक्ष
60 सदस्यों की लिस्ट में कुल 20 यादवों को शामिल किया गया है। यानी कि 33 फीसदी हिस्सा अकेले यादवों के खाते में चला गया। मुसलमानों को सिर्फ 6 लोग यानी 10 फीसदी शामिल हैं। इनमें से 5 सदर विधानसभा से हैं। सपा से जुड़े लोगों ने दबी ज़बान में बनाया ज़िलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव ने अपने चेहेते मुस्लिमों को पादधिकारी बना दिया। साथ ही साथ उनकी नज़र सदर विधानसभा पर भी टिकी हुई है। इसलिए 6 में से 5 लोग सदर विधानसभा से आते हैं।
सोशल मीडिया पर बवाल
समाजवादी पार्टी जौनपुर के जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव द्वारा बृहस्पतिवार को पार्टी की नई कार्यकारिणी घोषित की गयी। यह सूची आलाकमान ने अनुमोदित करके दी है। सूची जारी होते ही मुस्लिम समाज के लोगों को तगड़ा झटका लगा। जिले में लगभग 15 लाख मुसलमानों की आबादी है। अब विपक्षी दल खासकर कांग्रेस ने सपा पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया के ज़रिए इस सूची पर सवाल उठाया है और कहा है कि अखिर मुसलमानों की हितैषी बताने वाली पार्टी के अपने संगठन में मुसलमानों की हिस्सेदारी उनकी आबादी के हिसाब से क्यों नहीं दी गई। सोशल मीडिया पर इस लिस्ट को शेयर करके काफी सवाल उठाये जा रहे हैं।
अन्त में
यूपी में विधानसभा चुनाव अभी 2022 में होने हैं, पर बीजेपी इसकी तैयारियों में जुट गई है और लगातार वर्चुअल रैली कर रही है। सपा ने भी तैयारियां शुरु कर दी है। सपा ने संगठन को मजबूत करने के इरादे से काफी बदलाव कर रही है। पर ज़िलों में जो कमेटिया बन रही हैं उसमें लगातार विवाद और हर वर्ग व जाति की हिस्सेदारी को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है। वक्त रहे सपा हाईकमान ने अगर इन पर नज़र नही दौड़ाई और सुधार नहीं किया तो 2022 के चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।