नई दिल्ली
सरकारी अस्पतालों को मास्क, ग्लव्स और प्रोटेक्टिव गियर्स जैसे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स (PPE) की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। दिल्ली में कई अस्पतालों ने इनकी राशनिंग शुरू कर दी है। ये उन्हीं डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को उपलब्ध कराए जा रहे हैं जो COVID-19 मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
दिल्ली के एक प्रमुख अस्पताल के एक डॉक्टर ने पहचान नहीं खोलने की शर्त पर बताया, “मेडिकल समुदाय में भी घबराहट है। भीलवाड़ा में कई डॉक्टर्स COVID-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। कई लोग N95 मास्क का तब भी इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि इसकी ज़रूरत नहीं है। अब ऐसी आपूर्ति की राशनिंग कर दी गई है।”
डॉक्टर ने कहा, “कई सर्जरी में N95 मास्क की जरूरत होती है। इसके अलावा टीबी मरीज को देखते हुए भी इसे लगाना पड़ता है और कई सर्जरी में साधारण सर्जिकल मास्क इस्तेमाल किया जा सकता है। कई अस्पतालों में जहां COVID-19 मरीजों के इलाज के लिए सीधा संपर्क नहीं है, वहां खुद के बनाए मास्क इस्तेमाल किए जा रहे हैं।”
भारत सरकार ऐसी आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं होने देने के लिए प्रयास कर रही है और इनकी आपूर्ति के लिए ऑर्डर दिए जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने बताया, ‘हमने PPEs का निर्यात 31 जनवरी से ही प्रतिबंधित कर रखा है। हमने वायरस की किस्म को देखते हुए PPEs के इस्तेमाल के लिए तकनीकी दिशा-र्निदेश भी जारी किए हैं। हमारे पास हैंडहोल्डिंग और घरेलू सप्लायर्स हैं, PPEs के लिए अधिकतर कच्चा सामान विदेश से ही आता है।”
एक अनुमान के मुताबिक, एक अस्पताल में जहां कई रेजीडेंट डाक्टर्स होते हैं, वहां हर दिन 200-250 N95 मास्क की जरूरत होती है। इसमें सरकारी अस्पतालों के सफाईकर्मी और कर्मचारी शामिल नहीं है। अस्पतालों को ऐसी चीज़ों की चोरी जैसे मुद्दों का सामना भी करना पड़ता है।
डॉक्टर आशंका जताते हैं कि अगले कुछ दिन बहुत अहम हैं और ये वायरस के फैलाव की स्थिति को स्पष्ट करेंगे। अगर सामुदायिक संक्रमण शुरू हो गया तो मेडिकल प्रैक्टीशनर्स के लिए बिना समुचित प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट्स के काम करना मुश्किल हो जाएगा।