केंद्र की मोदी सरकार ने असम सरकार से कहा है कि वो डिटेंशन सेंटर में रखे गए तमाम ग़ैर-मुस्लिम शरणार्थियों को रिहा कर दे। इस बात की जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में दी।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने असम सरकार को सलाह दी है कि वो 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए ग़ैर-मुस्लिम शरणार्थी, जिन्हें दस्तावेज़ न होने की वजह से डिटेंशन सेंटर में रखा गया है, उनको रिहा कर दे। राय ने कहा कि डिटेंशन सेंटर में रखे गए ये शरणार्थी संशोधित नागरिकता कानून (CAA 2019) के तहत आवेदन करके भारत की नागरिकता ले सकते हैं।
उन्होंने कहा कि “डिटेंशन सेंटर” का नाम बदलकर “होल्डिंग सेंटर” कर दिया गया है। राय ने बताया कि असम सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इन केंद्रों से पिछले तीन सालों में 761 बंदियों को रिहा किया गया है।
नित्यानंद द्वारा दी गई इस जानकारी के बाद सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार को घेरते हुए ट्वीट कर लिखा, “प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि CAA किसी भी भारतीय की नागरिकता लेने का कानून नहीं है। लेकिन जैसा मैं कहता हूं इसका इस्तेमाल गैर मुस्लिमों को हिरासत से निकालने के लिए किया जाएगा उनके मामले समाप्त कर दिये जाएंगे। वहीं मुस्लिम हिरासत में रहेंगे”।
. @PMOIndia said this is a law to give citizenship & not take it. But like I’ve been saying, #CAA will be used to free detained non-Muslims, their cases will abate & they’ll be citizens while similarly placed Muslims will remain in detentionhttps://t.co/WONIjElXaT
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) February 7, 2020
राय ने लोकसभा में ये जानकारी कांग्रेस सांसद अब्दुल खलीक के एक सवाल के जवाब में दी। दरअसल, खलीक ने पूछा था कि क्या सरकार ने डिटेंशन केंद्रों में रह रहे हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध, जैन और इसाईयों को रिहा करने के लिए कोई कदम उठाए।
इसका जवाब देते हुए राय ने कहा कि CAA के लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने इस संबंध में कोई विशेष निर्देश जारी नहीं किया है। हालांकि राय ने आगे कहा कि, जनवरी, 2016 में, केंद्र ने असम को सलाह दी थी कि वो गोवाहाटी हाई कोर्ट में दायर विभिन्न अदालती मामलों से जुड़े सभी व्यक्तियों के मामलों की जांच करे और उन्हें केंद्र द्वारा जारी दो अधिसूचनाओं की शर्तों और आवश्यकताओं को पूरा करने पर डिटेंशन से रिहा करे।
राय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले साल जुलाई में एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें घोषित विदेशियों जिन्हें तीन साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था को सशर्त रिहा करने का प्रावधान था। शीर्ष अदालत के आदेश में मानदंड धर्म नहीं बल्कि समय अवधि थी।