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19 Oct 2024, Sat

मुज़फ्फरनगर, यूपी

एनसीआर के मामले पर हुए प्रदर्शन के बाद भड़की हिंसा के बाद यूपी पुलिस बड़े पैमाने पर धरपकड़ में लगी हुई है। लेकिन इसके साथ ही पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में भड़की हिंसा के बाद वहाँ पहुंचे संवाददाताओं के साथ पुलिस का बुरा बर्ताव जारी है।

अंतर्राष्ट्रीय समाचार संस्था बीबीसी के प्रतिनिधि ज़ुबैर अहमद ने अपनी रिपोर्ट में मुजफ्फरनगर के एसपी द्वारा की गई हरकत का विस्तार से जिक्र किया है।

अपनी रिपोर्ट में ज़ुबैर अहमदलिखते हैं – “हमने शहर के एसपी सतपाल अंतील के दफ़्तर का रुख़ किया, वहां उनके सामने इन नागरिकों की शिकायत रखी। वो भड़क गए और पूरा इंटरव्यू देने के बाद हमारे सहयोगी दीपक से फ़ोन छीनकर उसे डिलीट कर दिया।”

एसपी आरोप लगा रहे थे कि बीबीसी भड़काने का काम कर रही है। जब हमने उनसे कहा कि हमारे पास वीडियो हैं जिनमें लोगों के इलज़ाम सुने जा सकते हैं। हमने कहा कि हम पीड़ित लोगों की शिकायत उन तक लेकर आये हैं और इनका जवाब लेने आए हैं लेकिन उन्होंने कहा कि हम ग़लत कह रहे हैं।

मैंने 30 साल की रिपोर्टिंग में पुलिस की इस तरह की प्रतिक्रिया पहले कभी नहीं देखी। हमने दंगे, चरमपंथी हमले, बम विस्फोट, मुंबई आतंकी हमले और दूसरी कई गंभीर घटनाओं पर रिपोर्टिंग की है लेकिन कभी किसी पुलिस वाले ने ऐसा बर्ताव नहीं किया। कभी किसी ने हमारे वीडियो डिलीट नहीं किए।

पुलिस की पावर और इसकी ताक़त का अंदाज़ा मुझे है क्योंकि मैंने अपने करिअर की शुरुआत में क्राइम रिपोर्टिंग भी की है। पुलिसवालों की दिक़्क़तों का भी हमें अंदाज़ा है लेकिन हमें लगा सतपाल अंतील ने ज़रूरत-से-ज़्यादा सख़्त प्रतिक्रिया दिखाई। हमें ये भी अंदाज़ा है कि स्थानीय पत्रकार उनसे सख़्त सवाल करने से अक्सर परहेज़ करते हैं और वो मुश्किल सवाल सुनने के आदी नहीं हैं। मगर उनका ओवर-रिएक्शन समझ में नहीं आया।

यूपी पुलिस द्वारा पत्रकारों के साथ किए गए इस बुरे बर्ताव की यह इकलौती कहानी नहीं है। लखनऊ में भड़की हिंसा के बाद प्रमुख अंग्रेजी अखबार “द हिन्दू” के रिपोर्टर को भी पुलिस ने एक चाय की दुकान से उठा लिया था और करीब 4 घंटे उन्हे थाने में बैठाए रखा।

By #AARECH