स्पेशल रिपोर्ट- इकबाल अहमद
थाणे
भिवंडी… महाराष्ट्र के ठाणे ज़िले एक शहर। यहां देश के कोने कोने से आए लोग बसे हुए हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में हैं। भिवंडी… जिसे एशिया का मैनचेष्टर कहा जाता है। ये शहर कपड़ा बुनाई का सबसे बड़ा केंद्र है। पावर लूम की मशीनें यहां दिन रात चलती रहती है। तभी कहा जाता है भिवंडी शहर कभी सोता नहीं।
यही भिवंडी शहर 16 अगस्त की सुबह से शांत होने जा रहा है, यानी पावर लूम 16 अगस्त से 31 अगस्त तक पूरी तरह बन्द रहेंगे। वजह यह है कि पावर लूम का कारोबार भारी मंदी के दौर से गुज़र रहा है। कारोबारियों ने इसे चालू रखने की हर मुमकिन कोशिश की, पर बिना सरकारी मदद और कोई ठोस नीति से कारोबर पूरा घाटे का सौदा बन गया है। अब पावर लूम मालिकों ने फैसला किया है कि अपनी आवाज़ को सरकार तक पहुंचाने के लिए वो सभी 16 अगस्त से 31 अगस्त तक हड़ताल पर रहेंगे।
ज़रा आंकड़ों पर गौर करें तो भिवंडी में प्रति दिन 1 करोड़ मीटर कपड़ा बनता है, जो दुनिया के अलग अलग देशों में भेजा जाता है। सऊदी अरब, इराक, ईरान, दुबई, से लेकर अफ़्रीकी देश और यूरोप तक देशो में भिवंडी का कपड़ा निर्यात होता है। पीएम मोदी के नेत़त्व वाली नई सरकार ने नई निर्यात नीति बनाकर कपड़ों के निर्यात पर पाबन्दी लगा रखी है। इस वजह से उत्पादन के मुकाबले खपत बिल्कुल कम हो गई है। यही वजह है कि बिकवाली ना होने के कारण कपड़े का बाज़ार भाव कम होता जा रहा है। इसके साथ ही भंडारण भी बढ़ता जा रहा है।
पिछले 6 महीने से पावर लूम मालिक इस उम्मीद पर कपड़ा बुनाई जारी रखे थे कि सरकार कोई अच्छी नीति बनाएगी। इतना वक्त बीत जाने के बाद भी ऐसा लगता है कि सरकार पावर लूम के लिए कुछ भी करने को तैयार नहीं है। ऐसे में पावर लूम मालिकों के पास अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। इसी मज़बूरी के चलते “भिवंडी पावर लूम संगठन” ने 16 अगस्त से 31 अगस्त तक प्रथम चरण में लूम बंदी का एलान कर दिया है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि पावर लूम की हड़ताल से लाखों मज़दूरों का क्या होगा जिनकी जीविका इसी पावर लूम पर निर्भर है। ये मज़दूर जो रोज़ कमाते है रोज़ खाते हैं।
हड़ताल को लेकर सरकार भले ही गंभीर न हो पर पुलिस प्रशासन इसे एक गंभीर चुनौती मानता है। पुलिस प्रशासन ने हड़ताल को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन पावर लूम मालिकों के सामने वो भी बेबस नज़र आ रहे हैं। अब प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि शांति व्य्वस्था को कैसे बनाये रखा जाए। एक तरफ तो लाखों मजदूर और मालिकों निपटने का बात है तो दूसरी तरफ बंद पावर लूम में चोरी जैसी वारदात को रोकने की चुनौती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पहले जब कभी हड़ताल हुई तो पावर लूम में चोरी, छिनैती और नकबज़नी कि वारदात में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती थी। हालाँकि पुलिस उपायुक्त सुधीर दाभाडे ने कहा की अगर कोई जबरन पावर लूम बन्द कराता है तो पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी। साथ ही उन्होंने भरोसा दिया है कि पुलिस किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बिल्कुल तैयार है।
वैसे तो कपड़ा बुनाई कुटीर उद्योग में शामिल हैं। कपड़ा बुनाई वाली मशीन को ” पावर लूम ” कहते हैं। आंकड़े बताते हैं कि भिवंडी में 5 लाख पावर लूम है। जिसे चलाने के लिए करीब एक लाख मज़दूर काम करते है। खास बात ये है कि इसमें ज़्यादातर गरीब मुसलमान हैं। इसके अलावा भी लाखों लोग किसी न किसी तरह इस कारोबार से जुड़े हैं।