मेरठ, यूपी
उत्तर प्रदेश के मेरठ में दलित वकीलों के एक समूह ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को शुद्ध करने के लिए गंगाजल और दूध से नहलाया है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के राज्य सेक्रेटरी सुनील बंसल ने शुक्रवार को बीआर अंबेडकर की मूर्ति पर माला पहनाया, जिसके तुरंत बाद दलित वकीलों के समूह ने दूध और गंगा जल से मूर्ति को शुद्ध किया। वकीलों ने कहा कि सुनीव बंसल के माल्यार्पण से जिला कोर्ट में स्थित मूर्ति अशुद्ध हो गया था।
वकीलों ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि ‘हम इस मूर्ति को शुद्ध कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राकेश सिन्हा यहां आए थे और इस पर माला चढ़ाया था। भाजपा सरकार दलित पर दमन करती है। उनका अंबेडकर से कोई लेना-देना नहीं है। मगर अपनी पार्टी का प्रचार करने और दलित समुदाय को लुभाने के लिए अंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करते हैं।’
Meerut: A group of Dalit lawyers 'purified' statue of Dr BR Ambedkar near Dist Court y'day, say "RSS' Rakesh Sinha came&garlanded the statue.BJP govt oppresses Dalits.They've nothing to do with Ambedkar but do this to promote BJP&allure Dalits. So we purified this with Gangajal." pic.twitter.com/cs8tnzZ3XE
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 11, 2018
इससे पहले गुजरात के वडोदरा में भीमराव अंबेडकर की 127 वीं जयंती पर मेनका गांधी और भाजपा के अन्य नेताओं के उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के तुरंत बाद दलित समुदाय के कार्यकर्ताओं ने प्रतिमा को धोकर ”साफ” किया था। एक दलित नेता ने दावा किया कि उनकी मौजूदगी से वहां का माहौल दूषित हो गया था। बता दें कि बीआर अंबेडकर दलितों के आदर्श और मसीहा माने जाते हैं। दलितों के आईकॉन अम्बेडकर ने छूआछूत के खिलाफ, सामाजिक भेदभाव के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और महिलाओं और मजदूरों के अधिकारों का भी समर्थन किया।
गौरतलब है कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश के ही हमीरपुर में बीजेपी विधायक मनीषा अनुरागी मंदिर में दर्शन करने पहुंची थीं, जिसके बाद मंदिर को गंगाजल से धोया गया और मूर्ति को शुद्ध रने के लिए इलाहाबाद भेजा गया। जिसके बाद मूर्ती की फिर स्थापना की गई और गांव में भंडारा किया गया।
इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि राठ इलाके के इस मंदिर में महिला के प्रवेश पर रोक है। इसे महाभारतकाल का मंदिर माना जाता है। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद कार्यकर्ताओं के आग्रह पर मनीषा अनुरागी मंदिर दर्शन करने पहुंची थीं। मनीषा उस चबूतरे पर भी चढ़ीं जहां ऋषि तपस्या करते थे। जैसे ही गांव के लोगों को इस बात का पता चला तो वो आक्रोशित हो गए। क्योंकि इस मंदिर में महिला के प्रवेश करने पर मनाही है। इस मंदिर में महिलाएं बाहर ही दर्शन करती हैं।