ईद-उल-अजहा (बकरीद) के लिए देहरादून स्थित आईएसबीटी के पास बकरा मंडी सज चुकी है। मंडी में तरह तरह के बकरे हैं, लेकिन महफिल तो अल्ला रक्खा, मुहम्मदिया और सुल्तान ही लूट रहे हैं। मंडी में न केवल उत्तराखंड बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग बकरे बेचने के लिए पहुंचे हैं। मंगलवार को भी मंडी में काफी रौनक रही और बड़ी संख्या में लोगों ने बकरे खरीदे।
देहरादून निवासी निजामुद्दीन का अल्ला रक्खा ‘बकरा’ मंडी की शान बना हुआ है। इसकी कीमत 25 लाख है। मंडी पहुंचे लोग अल्ला रक्खा को देखने के लिए उमड़ रहे हैं। निजामुद्दीन का दावा है कि बकरे के पेट पर उर्दू में अल्लाह का नाम लिखा हुआ है। बकरे के बालों की बनावट अल्लाह के नाम जैसी है। निजामुद्दीन ने बताया कि बकरे को खाने पर रोजाना 800 से 900 रुपये का खर्च आता है। हालांकि देर शाम तक इस बकरे को खरीदार नहीं मिल पाया था।
सहारनपुर की बेहट तहसील के कादरपुर गांव निवासी खालिद का मुहम्मदिया बकरा भी कमतर नहीं है। खालिद ने इसके दाम पांच लाख रुपये रखे हैं। खालिद का दावा है कि बकरे के पेट पर मोहम्मद और गर्दन पर अल्लाह का नाम लिखा है। गांव में बकरे की बोली 1.5 लाख रुपये लग चुकी है। बहरहाल खबर लिखे जाने तक कोई खरीदार नहीं मिला था।
बिजनौर से आए मान का बकरा सुल्तान आकर्षण का केंद्र रहा। मान ने सुल्तान की कीमत 1.5 लाख रुपये मांगी। सुल्तान के कई खरीदार आए। मान ने बताया कि उसकी बोली एक लाख रुपये तक लग चुकी है, लेकिन तोतापरी प्रजाति के इस बकरे को वह 1.5 लाख रुपये कम में नहीं बेचेंगे।
बकरा मंडी में सहारनपुर से आए हाजी इरफान का बकरा भी अपने रौबीले अंदाज से लोगों को लुभाता रहा। बकरे को देखने वालों की भीड़ लगी रही। इरफान ने बकरे की कीमत पांच लाख रुपये रखी है। दून की बकरा मंडी में इस साल महंगाई कम नजर आ रही है। कारोबारियों का कहना है कि इस साल कांवड़ यात्रा के चलते पहाड़ से बकरे दूसरे राज्यों को नहीं भेजे जा सके हैं। इसलिए भी मंडी में गिरावट है।