प्रतिष्ठित शोध पत्रिका इकोनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली (ईपीडब्ल्यू) के संपादक परंजय गुहा ठाकुरता ने इस्तीफा दे दिया है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार ठाकुरता ने ये इस्तीफा अडानी समूह द्वारा पत्रिका को भेजे गए कानूनी नोटिस के बाद दिया है। उद्योपति गौतम अडानी की कंपनी अडानी पावर लिमिटेड ने ईपीडबल्यू को जून में भेजी कानूनी नोटिस में पत्रिका में छपे दो लेखों “क्या अडानी समून ने एक हजार करोड़ रुपये टैक्स नहीं दिया?” (14 जनवरी 2017) और “मोदी सरकार का अडानी समूह को 500 करोड़ का तोहफा” (24 जून 2017) को तत्काल हटाने और उसके लिए बिना शर्त माफी मांगने की मांग की। नोटिस में कहा गया कि अगर कंपनी की ये शर्तें नहीं मानी गईं तो वो पत्रिका के खिलाफ कार्रवाई कानूनी परामर्श लेकर मानहानि का मुकदमा करेगी। ठाकुरता पिछले साल अप्रैल में ईपीडब्ल्यू के संपादक बने थे। ठाकुरता ने मीडिया से बातचीत में इस्तीफे की पुष्टि की है लेकिन उसकी वजह नहीं बताई।
समाचार वेबसाइट द वायर के अनुसार मंगलवार (18 जुलाई) को ईपीडब्ल्यू का संचालन करने वाले समीक्षा ट्रस्ट की दिल्ली में हुई संपादकीय बोर्ड की बैठक में अडानी पावर लिमिटेड द्वारा उल्लिखित खबरों को हटाने का फैसला किया गया। ये दोनों लेख ठाकुरता समेत चार पत्रकारों ने मिलकर लिखे थे। इस बैठक के बाद ही ठाकुरता ने संपादक पद से इस्तीफा दे दिया। ठाकुरता ने द वायर से कहा कि ईपीडब्ल्यू में उनका कार्यकाल काफी शिक्षाप्रद रहा और अब वो अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं। द वायर के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने ईपीडबल्यू द्वारा हटाए गए दोनों रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर यथावत प्रकाशित किया है।
ठाकुरता के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर पत्रकारों ने इसका विरोध किया। राजदीप, सरदेसाई, एमके वेणु, निखिल वागले, सागरिका घोष, रवीश कुमार, हरतोष सिंह बल, ओम थानवी और अक्षय मुकुल जैसे पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर अपना विरोध जताया है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण, इतिहासकार रामचंद्र गुहा और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राघव चड्ढा ने भी इसकी आलोचना की है।
एनडीटीवी के एंकर और वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लिखा है, “परॉन्जॉय गुहा ठाकुर्ता ने अदानी पावर लिमिटेड के लेकर EPW में दो रिपोर्ट छापी। एक रिपोर्ट थी कि कैसे एक हज़ार करोड़ की कर वंचना की गई है और दूसरी कि कैसे सरकार ने 500 करोड़ का फायदा पहुँचाया। अदानी ग्रुप ने मानहानि का नोटिस भेज दिया और कहा कि दोनों रिपोर्ट हटा दें। EPW को संचालित करने वाले समीक्षा ट्रस्ट ने कहा कि दोनों रिपोर्ट हटा दें। परॉन्जॉय गुहा ठाकुर्ता ने मना कर दिया और इस्तीफ़ा दे दिया। The Wire पर दोनों स्टोरी है और वायर का कहना है कि नहीं हटायेंगे। आप दोनों रिपोर्ट को पढ़ें और ज़ोर ज़ोर से गायें गोदी में खेलती हैं इसकी हज़ारों मीडिया।”
वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष ने इस फैसले को शर्मनाक और स्तब्ध कर देने वाला बताया है। सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने अडानी पावर लिमिटेड की नोटिस को सच को दबाने का तरीका बताया है। भूषण ने ट्वीट किया है, “इस तरह कई घोटालों में शामिल रहे और सरकारी बैंकों के करोड़ों हजार रुपये के कर्जदार अडानी ने पोल खुलने से रोकने के लिए कानूनी नोटिस भेजी।” इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ईपीडब्ल्यू के ट्रस्टियों के बरताव को शर्मनाक बताया है। वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने ट्वीट करके ईपीडब्ल्यू से ये साफ करने की मांग की है कि ठाकुरता ने क्यों इस्तीफा दिया है, क्या अडानी की कानूनी नोटिस की वजह से?
Shocking and shameful. Why has @paranjoygt been forced to leave EPW? https://t.co/U91oe0Flwc
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) July 19, 2017
@paranjoygt kept the core of @epw_in intact and made it so much newsy with big breaking stories. Big loss https://t.co/xthXkSQDEV
— Akshaya Mukul (@Akshayamukul) July 18, 2017
what does @epw_in amount to w/o some spine, @paranjoygt has always cautioned against just this impact of corporates https://t.co/ydprCWBYUY
— Hartosh Singh Bal (@HartoshSinghBal) July 19, 2017
The EPW’s Trustees have behaved shamefully, letting down not just @paranjoygt but also the large cause of intellectual and press freedom. https://t.co/bFFSgkh50B
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) July 19, 2017
How Adani involved various frauds & owing tens of thousands Crores to PSU banks uses SLAPP suits to prevent exposure https://t.co/qyN3PW7jy6
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 19, 2017
The Wire says both the articles on Adani group will continue to be available on their pages. Is EPW trust listening? https://t.co/UbP3luiVfy
— Om Thanvi | ओम थानवी (@omthanvi) July 18, 2017
Why anyone who stands for a truly 'independent' media should be worried: https://t.co/xdeFvyRYt3
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 19, 2017
EPW is a reputed journal. Readers have every right to know whether @paranjoygt resigned due to Adani issue. Hope EPW trust comes clean.
— nikhil wagle (@waglenikhil) July 18, 2017
EPW brought out results of govt investigations and SC observations against Adanis.Yet govt quiet&Adani intimidating media with legal suits.
— M K Venu (@mkvenu1) July 19, 2017