Breaking
22 Dec 2024, Sun

लखनऊ, यूपी

रिहाई मंच ने बाराबंकी में चोरी के शक में दबंगों द्वारा दलित युवक को पीट-पीट कर अधमरा कर देने और फिर उसे जिंदा जला देने की कोशिश को क़ानून-व्यवस्था के मोर्चे पर राज्य सरकार की नाकामी करार दिया। कहा कि राजधानी के ठीक बगल में हुई यह घटना योगी के उस बड़बोले बयान की पोल खोलती है जिसमें कहा गया था कि अपराधी या तो जेल में हैं या उनका राम नाम सत्य हो चुका है।

रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती पीड़ित सुजीत गौतम व उसके परिवार से  मुलाक़ात की। प्रतिनिधिमंडल में शकील कुरैशी और शाहरुख अहमद शामिल थे।

सुजीत गौतम के ससुर तिल्लोकी ने बताया कि वह लखनऊ में वेल्डिंग का काम करता है। घटना के दिन काम के बोझ तले उसे लखनऊ से निकलने में देर हुई। उसे अपने ससुराल जाना था। वह राघवपुरवा गांव पहुंचा ही था कि कुत्ते उस पर भौंकने लगे। लोगों ने उसे चोर समझा और बिना किसी पूछताछ के उसे पीटना शुरू कर दिया।

सुजीत चीखता रहा कि वह चोर नहीं है लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। दबंगो ने उसे लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा। उसे करंट लगाया, पानी के ड्रम में देर तक डुबोकर रखा। अधमरा हो जाने के बाद उस पर पेट्रोल डाला और फिर आग लगा दी। वह तड़पता रहा लेकिन बर्बर हमलावरों को उस पर तनिक दया नहीं आयी।

घटना का पता चलते ही सुजीत के ससुर  तिल्लोकी घटनास्थल पहुंचे। दबंगों ने उन्हें भी घेर लिया। उन्हें ज़मीन पर गिरा कर उन पर लात-घूंसों की बरसात कर दी।

उन्होंने कहा कि सुजीत के दो बच्चे हैं। एक तीन साल का और दूसरा सात महीने का दुधमुंहा। उसकी पत्नी मायके में थी। वह बीबी-बच्चों से मिलने ससुराल जा रहा था। वह मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था। उसे इस कदर मारा गया कि ठीक होने में उसे सालों लग जायेंगे। उसका तो जीवन ही बर्बाद हो गया। अब उसके बीबी-बच्चों का क्या होगा।

उनकी मांग है कि अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई हो और न्याय जल्दी मिले। परिवार को भुखमरी से बचाने के लिए मुआवजा मिले।

By #AARECH