विशेष संवाददाता, जयपुर
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने कहा कि स्कूली शिक्षा पाठयक्रम में सूर्य नमस्कार और योग को मंजूर नहीं करेगा। राजस्थान सरकार से सरकारी स्कूलों में अनिवार्य किये सूर्य नमस्कार के आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की गई है। बोर्ड के सह महासचिव मोहम्मद अब्दुल रहीम कुरैशी ने तीन दिवसीय अधिवेशन में किये गये फैसलों की जानकारी मीडिया को दी।
मालूम हो कि जयपूर में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का तीन दिन का कौमी अधिवेशन चल रहा था। यो अधिवेशन 20 मार्च से 22 मार्च तक चला। इसमें पूरे मुल्क से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। शुरुआत से ही अंदाज़ा लग रहा था कि इस बार बोर्ड की बैठक में कई बड़े मुद्दे पर बात होगी। मोदी सरकार के बनने के बाद बीजेपी नेताओं की मुस्लिमों के खिलाफ लगातार बयानबाज़ी, कई जगहों पर हमले, योग जैसे मुद्दे पर चर्चा की उम्मीद थी। बैठक में इन सभी मुद्दों पर चर्चा की गई।
बैठक में बीजेपी से जुड़े और मोदी के सपोर्टर जफर सरेशवाला की मौजूदगी में हंगामा हो गया। एमआईएम के सदर असदुद्दीन ओवैसी ने सरेशवाला की मौजूदगी पर सवाल खड़ा कर दिया। इस बीच खूद हंगामा हुआ। सरेशवाला मोदी की तरफ से लाए गए मैसेज को पढ़ने की इजाज़त देने की मांग कर रहे थे। जबकि ओवैसी उन्हें मीटिंग से बाहर करने की मांग कर रहे थे। जबरदस्त हंगामें के बाद सरेशवाला को बाहर जाने को कहा गया। इसके बाद ही मीटिंग शुरु हो पाई।
तीन दिन चले इस अधिवेशन में कई गंभीर मुद्दे उठाए गए। आखिरी सेशन के बाद बोर्ड के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी अब्दुल रहीम कुरैशी ने मीडिया से खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक में स्कूली पाठ्यक्रम में सूर्य नमस्कार और योग को अनिवार्य करने पर गहरी नाराजगी जताई गई। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार से सरकारी स्कूलों में अनिवार्य किये सूर्य नमस्कार के आदेश को तुरंत वापस लेना चाहिए और यदि ऐसा नहीं किया गया तो बोर्ड इस मामले को अदालत में लेकर जायेगा। उन्होंने कहा कि मुसलमान इसे कभी मंजूर नहीं करेगा, यह हमारे मज़हब के खिलाफ है और हमारी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है जो देश के संविधान ने हमे दिया है। उन्होंने कहा कि बोर्ड का मानना है कि शिक्षा के पाठ्यक्रम में किसी भी धार्मिक पुस्तक के अंश को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमान पैदा करने वाले के सामने ही सिर झुका सकता है किसी अन्य के सामने नहीं। उन्होंने कहा कि इससे देश का विकास नहीं होगा बल्कि विकास थम जायेगा, देश के विकास के लिए आंतरिक मजबूती अनिवार्य है यह आदेश तो मजबूती को कमजोर कर रहे है।